JAC Jharkhand Board 10th Science Exam 2024 : VVI Most Important सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Question) उत्तर के साथ; परीक्षा से पहले रटलो

SHARING IS CARING
If our Website helped you a little, then kindly spread our voice using Social Networks. Spread our word to your readers, friends, teachers, students & all those close ones who deserve to know what you know now.
झारखंड अकैडेमिक काउंसिल (JAC) ने 10वीं कक्षा की Science - विज्ञान परीक्षा को 21 फरवरी, 2024 को निर्धारित किया है। यह आलेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें वही प्रश्न शामिल हैं जो पेपर में आ सकते हैं।
झारखंड बोर्ड के सभी विद्यार्थियों के लिए आपकी Science - विज्ञान परीक्षा के लिए कुछ ही घंटे बचे हैं, जिनमें विद्यार्थी इस से बोर्ड परीक्षा की तैयारी को आसानी से कर सकते हैं।
इस संग्रह में झारखंड बोर्ड कक्षा 10वीं की Science - विज्ञान परीक्षा से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न (JAC Board 10th Science VVI Most Important Question) हैं। इन प्रश्नों को अनुभवी शिक्षकों ने तैयार किया है, जो आपके पेपर के लिए महत्वपूर्ण हैं। सभी प्रश्नों के साथ उत्तर दिए गए हैं।
ये भी पढ़ें - JAC Board Class 10th Science 2024 : Important Objective Question ; Download PDF
JAC Board 10th Science VVI Most Important Question Answer 2024
Very Short Answer Type Question
1. सिल्वर के शोधन में, सिल्वर नाइट्रेट के विलयन से सिल्वर प्राप्त करने के लिए कॉपर द्वारा विस्थापन किया जाता है। इस के लिए अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर - Cu(s) + 2AgNO3(3) → Cu(NO3)2(aq) + 2Ag(s)
2. कंपोस्ट का बनना किस अभिक्रिया का उदाहरण है ?
उत्तर - ऊष्माक्षेपी
3. लौह-चूर्ण पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने से क्या होता है ?
उत्तर - हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।
4. Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu
ऊपर दी गयी रासायनिक अभिक्रिया किस प्रकार की है ?
उत्तर - विस्थापन अभिक्रिया
5. CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है ?
उत्तर - विरंजक चूर्ण |
6. उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर - शुष्क बुझा हुआ चूना।
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O
7. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर - सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) (धोने का सोडा)
8. टमाटर में कौन सा अम्ल होता है ?
उत्तर - ऑक्सालिक अम्ल
9. चींटी के दंश में उपस्थित अम्ल का नाम बताइए।
उत्तर - मेथेनोइक अम्ल (फॉर्मिक अम्ल)
10. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल की अभिक्रिया के पश्चात किस पदार्थ का निर्माण होता है ?
उत्तर - ग्लूकोस, ऑक्सीजन, जल ।
11. पाचन के दौरान अमाशय के माध्यम को अम्लीय बनाने का काम कौन करता है।
उत्तर - हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ।
12. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत को कैसे अभीकल्पित किया गया है ?
उत्तर - क्षुद्रांत के आंतरिक स्तर पर अनेक अंगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं, जो अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं।
13. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है यह प्रक्रम कहां होता है ?
उत्तर - वसा का पाचन अग्नाशय द्वारा स्रावित लाइपेज एंजाइम से होता है, यह प्रक्रम क्षुद्रांत में होता है।
14. ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह किस रक्त नलिका में होता है।
उत्तर - धमनी ।
15. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में क्लोरोफिल का क्या कार्य है ?
उत्तर - क्लोरोफिल प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है।
16. घास खाने वाले शाकाहारी जंतुओं को लंबी क्षुद्रांत की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर - घास खाने वाले शाकाहारी जंतुओं को सेल्युलोज के पाचन के लिए लंबी क्षुद्रांत की आवश्यकता होती है।
17. कोशिकीय श्वसन द्वारा मोचित ऊर्जा का क्या उपयोग है ?
उत्तर - कोशिकीय श्वसन द्वारा मोचित ऊर्जा तत्काल ही ए.टी.पी. नामक अणु के संश्लेषण में प्रयुक्त हो जाती है, जो कोशिका के अन्य क्रियाओं के लिए ईंधन की तरह प्रयुक्त होता है।
18. मस्तिष्क का कौन सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ?
उत्तर - अनुमस्तिष्क शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है।
19. प्रतिवर्ती चाप कहां बनते हैं ?
उत्तर - प्रतिवर्ती चाप मेरुरज्जु में बनते हैं।
20. मस्तिष्क के मुख्य तीन भागों के नाम लिखिए।
उत्तर - मस्तिष्क के 3 मुख्य भाग हैं - अग्र मस्तिष्क, मध्य मस्तिष्क एवं पश्च मस्तिष्क ।
21. पौधों में पाए जाने वाले दो हार्मोन के नाम लिखे जो तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।
उत्तर - पौधों में ऑक्सिन तथा जिबरेलिन हार्मोन तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।
22. पौधों में पाए जाने वाले उस हार्मोन का नाम लिखे जो कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
उत्तर - साइटोकिनिन ।
23. उभयलिंगी पुष्प किसे कहते हैं ?
उत्तर - जब पुष्प में पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं तो उन्हें अभयलिंगी पुष्प कहते हैं।
24. शुक्राणु का निर्माण कहां होता है ?
उत्तर - शुक्राणु का निर्माण वृषण में होता है।
25. अंड कोशिका का निर्माण कहां होता है ?
उत्तर - अंड कोशिका का निर्माण अंडाशय में होता है।
26. मनुष्य में गतिशील जनन कोशिका को क्या कहते हैं ?
उत्तर - मनुष्य में गतिशील जनन कोशिका को नर युग्मक कहते हैं।
27. बीजाणु समासंघ विधि से किस में जनन होता है ?
उत्तर - जणु समासंघ विधि से राइजोपस में जनन होता है।
28. जब किसी पुष्प में पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं, तो उन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर - जब किसी पुष्प में पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं, तो उन्हें अभयलिंगी पुष्प कहते हैं, जैसे - गुड़हल, सरसों आदि ।
29. स्वपरागण किसे कहते हैं ?
उत्तर - जब परागकणों का स्थानांतरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है, तो उसे स्वपरागण कहते हैं।
30. जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत विभिन्नता तथा अनुवांशिकता का अध्ययन किया जाता है ?
उत्तर - अनुवांशिकी
31. प्राकृतिक चयन का सिद्धांत किसने दिया है ?
उत्तर - डार्विन
32. किन उत्तक में उत्पन्न परिवर्तन वंशानुगत नहीं होते हैं ?
उत्तर - कायिक उत्तक
33. डीएनए का पूर्ण रूप लिखिए।
उत्तर - डी ऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक अम्ल
34. आरएनए का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर - राइबोज न्यूक्लिक अम्ल
Short Answer Type Question
1. लोहे की वस्तुओं को हम पेंट क्यों करते हैं ?
उत्तर - लोहे की वस्तु हवा एवं नमी के संपर्क में आकर संक्षारित हो जाती है। अतः पेंट करने पर लोहे की सतह हवा या नमी के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं रहती है, जिसके कारण संक्षारण नहीं हो पाता है। इस तरह लोहा पेंट करने पर क्षतिग्रस्त नहीं होता ।
2. तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है ?
उत्तर - नाइट्रोजन एक प्रतिऑक्सीकारक है, जो इन पदार्थों को उपचति (आक्सीकृत) होने से बचाता है। अतः तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों की विकृतगंधिता नहीं हो पाती है। इस तरह वसायुक्त पदार्थ खराब नहीं होते।
3. जब लोहे की कील को कॉपर सल्फ़ेट के विलयन में डुबाया जाता है, तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है ?
उत्तर - जब कॉपर सल्फेट विलयन में लोहे की कील डुबायी जाती है, तो लोहा कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर का विस्थापन कर देता है, और आयरन सल्फेट बनाता है, जो कि रंग में हरा होता है। इसलिए विलयन का रंग बदल जाता है।
4. वायु में जाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ़ क्यों किया जाता है ?
उत्तर - वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को रेगमाल से रगड़कर साफ़ किया जाता हैं, ताकि मैग्नीशियम ऑक्साइड और मैग्नीशियम कार्बोनेट की परत हट जाए, जो वायुमंडलीय ऑक्सीजन और CO2, से अभिक्रिया के फलस्वरूप रिबन पर बना था।
5. सवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता, जबकि वर्षा जल होता है ?
उत्तर - आसवित जल शुद्ध होते हैं, जिसमें आयन नहीं बनता है । विद्युत काचालन आयनों द्वारा होता है। वर्षा के जल में थोड़ी मात्रा में अम्ल होते हैं, क्योंकि वायु में उपस्थित SO2 और NO2 गैस जल में मिलकर इसे अम्लीय बना देते हैं। ये अम्ल (H+) आयन उत्पन्न करते हैं, जो विद्युत का चालन करते है ।
6. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है ?
उत्तर - क्योंकि जल की अनुपस्थिति में अम्ल H+ आयन उत्पन्न नही कर पाते हैं, इसलिए अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता है। केवल जल की उपस्थिति में ही अम्ल H+ आयन उत्पन्न कर पाते हैं तथा अम्लीय अभिलक्षण दर्शाने के लिए आयनों का बनना जरूरी होता है।
7. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके PH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए ।
उत्तर - दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है, जिसके कारण इसका pH: 6 से कम हो जाएगा।
8. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा ? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर - सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर यह सोडियम कार्बोनेट, जल तथा कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण करता है :
NaHCO3 → Na2CO3 + H20 + CO2
9. आघातवर्धनीयता क्या है ? उदाहरण द्वारा समझाएं।
उत्तर - धातुओं को हथौड़े से पीटकर पतली चादर बनाई जा सकती है, धातुओं के इसी गुण को आघातवर्धनीयता कहते हैं | जैसे - सोना और चांदी |
10. सोडियम धातु को मिट्टी के तेल में डुबोकर क्यों रखा जाता है ?
उत्तर - सोडियम अभिक्रियाशील धातु है। यह हवा में स्वतः जलने लगती है, और सोडियम ऑक्साइड का निर्माण करती है। इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने तथा आकस्मिक आग को रोकने के लिए मिट्टी के तेल में डुबोकर रखा जाता है।
11. कारण बताए कि धातु क्यों विद्युत धारा का संचालन करती हैं ?
उत्तर - धातुओं में विद्युत संचालन के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। जिससे विद्युत धारा के प्रवाह में अल्प प्रतिरोध उत्पन्न होता है। यही कारण है, कि धातु विद्युत धारा का संचालन करती है।
12. भर्जन क्या है, एक उदाहरण दें ?
उत्तर - सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक तापमान पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है, और भाप में बदल जाने वाली अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं, इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं। जैसे - ZnSO2 → ZnO + SO2
13. निस्तापन क्या है, एक उदाहरण दें।
उत्तर - कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु की उपस्थिति में अधिक तापमान पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है, और भाप में बदलने वाली अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं, इस प्रक्रिया को निस्तापन कहते हैं। जैसे - ZnCO3 + उष्मा → ZnO + CO2
14. खनिज और अयस्क में अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर - खनिज और अयस्क में अंतर :
खनिज :-
1. सभी खनिज अयस्क नहीं है।
2. सभी खनिजों से धातुओं का निष्कर्षण नहीं हो सकता।
3. भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्व या यौगिकों को खनिज कहते है।
अयस्क :-
1. सभी अयस्क खनिज है।
2. सभी अयस्क से धातुओं का निष्कर्षण हो सकता है।
3. वे खनिज जिनसे धातु आसानी से तथा कम खर्च में प्राप्त की जा सकती हैं, उसे अयस्क कहते हैं।
15. भर्जन और निस्तापन में अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर - भर्जन और निस्तापन में अंतर :
भर्जन :-
1. यह सल्फाइड अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है।
2. इस प्रक्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है।
निस्तापन :-
1. यह ऑक्साइड एवं कार्बोनेट अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है।
2. इस प्रक्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।
16. श्रृंखलन किसे कहते हैं ? किन्ही दो तत्वों का उदाहरण दें, जो श्रृंखला द्वारा योगीको का निर्माण करते हैं ?
उत्तर - कार्बन परमाणु में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है, जिससे बड़ी संख्या में अनु बनते हैं इस गुण को श्रृंखलन कहते हैं। जैसे - हाइड्रोजन तथा कार्बन ।
17. कार्बन के दो गुणधर्म कौन से हैं ? जिनके कारण हमारे चारों और कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई जाती है।
उत्तर - कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या होने के निम्नलिखित दो कारण है :-
1. कार्बन यौगिकों में श्रृंखला गुणों का होना।
2. कार्बन की संयोजकता चार होना।
18. अपरूपता किसे कहते हैं ? कार्बन के दो प्रमुख अपरूपता के नाम लिखें ?
उत्तर - जब कोई तत्व प्रकृति में विभिन्न भौतिक गुणों के साथ विभिन्न रूपों में पाया जाता है तो इस घटना को अपरूपता कहते हैं। कार्बन के दो अपरूपता हीरा और ग्रेफाइट हैं।
19. मेंडलीफ का आवर्त नियम क्या है ? मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कितने आवर्त और कितने समूह थे ?
उत्तर - डीफ के आवर्त नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमान के आवर्त फलन होते हैं। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में 6 आवर्त एवं 8 समूह है।
20. आधुनिक आवर्त नियम क्या है? आधुनिक आवर्त सारणी में कितने आवर्त और समूह है ?
उत्तर - आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार - मोजले के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्त फलन होते हैं। आधुनिक आवर्त सारणी में 7 आवर्त एवं 18 समूह होते हैं।
21. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - जब हम भोजन का अंतर्ग्रहण करते हैं तब लार में मौजूद एमीलेस एंजाइम उसमें मिक्स हो जाता है, और कुछ कार्बोहाइड्रेट का पाचन मुंह से ही प्रारंभ कर देता है।
22. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियां कौन से हैं, उसके उत्पाद क्या है ?
उत्तर - स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियां निम्नलिखित :- सूर्य प्रकाश की उपस्थिति, क्लोरोफिल की उपस्थिति, कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति, जल की उपस्थिति।
स्वपोषी पोषण के उत्पाद हैं :- ग्लूकोस, ऑक्सीजन, जल ।
23. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है, उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर - जब श्वसन की प्रक्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है, तो उसे वायवीय श्वसनकहते हैं। जैसे मनुष्य में वायवीय श्वसन की प्रक्रिया होती है। जब श्वसन की प्रक्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है, तो उसे अवायवीय श्वसन कहते हैं। यीस्ट में अवायवीय श्वसन की प्रक्रिया पाई जाती है।
24. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिताएं किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?
उत्तर - फुफफुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसे रचना में अंतकृत हो जाता है जिसे कुपिका कहते हैं कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है, जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है।
25. पादप में रासायनिक समन्वय में किस प्रकार होता है ?
उत्तर - पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोन के कारण होता है। पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं। जो उसके विशेष भागों को प्रभावित करते हैं। पादपों में प्ररोह प्रकाश के आने की दिशा की ओर ही बढ़ता है। गुरुत्वानुवर्तन ज़ड़ों को नीचे की ओर मुड़ कर अनुक्रिया करता है।
26. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मस्तिष्क शरीर का मुख्य समन्वय केन्द्र है। यह मेरुरज्जु से प्राप्त की गई सूचनाओं पर सोचने एवं उनका विश्लेषण करने का कार्य करता है। मस्तिष्क में प्रतिवर्ती क्रियाओं के संदेश भेजे जाते हैं। कुछ प्रतिवर्ती क्रियाएँ सीधे मस्तिष्क द्वारा ही नियंत्रित होती हैं। तीव्र प्रकाश में हमारे नेत्र की पुतली का संकुचित होना इसका उदहारण है।
27. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर - लकड़ी का बना एक लंबा डिब्बा लेते है। इसमें मिट्टी और खाद मिश्रण भर देते है। इसके एक सिरे पर एक पौधा लग देते है। डिब्बे में पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ देते हैं। पौधे को उसी कीप के द्वारा प्रतिदिन पानी देते हैं। लगभग एक सप्ताह के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटा कर ध्यान से देखते हैं। पौधे की जड़ों की वृद्धि उसी दिशा में दिखाई देती है जिस दिशा से कीप के द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी । यह प्रयोग जलानुवर्तन को दर्शाता है।
28. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ है ?
उत्तर - अलैंगिक जनन द्वारा उसी तरह की संतति उत्पन्न होती है, जैसा जनक होता है जो नई समष्टि उत्पन्न करने में सहायक नहीं है। इसके विपरीत लैंगिक जनन द्वारा डीएनए प्रतिकृति की सहायता से नई समष्टि उत्पन्न होती है, जिससे कुछ भिन्न तरह के जीव प्राप्त होते हैं। ये विभिन्नताएं जीवों के अनुकूलन और विकास में सहायता करती है।
29. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर - मानव में नर जनन कोशिका अथवा शुक्राणुओं का निर्माण वृषण में होता है। यह उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में स्थित होते हैं, क्योंकि शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यकता शरीर के ताप से कम होता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन एवं श्रवण वृषण की अहम भूमिका होती है।
30. ऋतु स्राव क्यों होता है ?
उत्तर - निषेचित अंडे की प्राप्ति हेतु गर्भाशय प्रतिमाह तैयारी करता है। अतः इसकी अंत: भिति मांसल एवं स्पंजी हो जाती है। निषेचन ना होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह पर्त धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इसे ही ऋतु स्राव कहते हैं।
31. मानव में बच्चे के लिंग का निर्धारण कैसे होता हैं ?
उत्तर - किसी भी बच्चे का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है, कि वह अपने जनकों से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त करता है | नवजात बच्चा जो पिता से X गुणसूत्र प्राप्त करता है, लड़की होगी, जबकि Y गुणसूत्र प्राप्त करने वाला बच्चा लड़का होगा।
32. जैव- विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन आपस में किस प्रकार परस्पर संबंधित है।
उत्तर - विभिन्न जीवों के बीच समानताओं एवं विभिन्नताओं के आधार पर ही उनका वर्गीकरण किया जाता है। दो स्पीशीज़ के बीच जितने अधिक अभिलक्षण समान होंगे उनका संबंध भी उतना ही निकट का होगा। जितनी अधिक समानताएँ होंगी, उनका उद्भव भी निकट अतीत में समान पूर्वजों से हुआ होगा ।
Long Answer Type Question
1. संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है ? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर - वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणु बराबर होते हैं, संतुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है। रासायनिक समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है, क्योंकि द्रव्यमान संरक्षण के नियम के अनुसार द्रव्यमान न बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। इसलिए, रासायनिक अभिक्रिया में, प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की कुल संख्या दोनों तरफ बराबर होनी चाहिए। इसलिए एक रासायनिक समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है।
2. निम्न पदों का वर्णन कीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए : (A) संक्षारण (B) विकृतगंधिता
उत्तर -
(a) संक्षारण : जब कोई धातु, आर्द्रता, अम्ल आदि के संपर्क में आती है, तो उसके ऊपर ऑक्साइड की परत जम जाती है और यह धीरे-धीरे क्षरित होने लगती है। इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। जैसे : लोहे के ऊपर जंग लगना, चाँदी के ऊपर काली परत आना, ताँबे के ऊपर हरी परत चढ़ना आदि संक्षारण के उदहारण हैं।
(b) विकृतगंधिता : तेल तथा वसायुक्त खाद्य पदार्थ जब वायु उपस्थित ऑक्सीजन से अभिक्रिया करते हैं तो उपचयन के फलस्वरूप उनके स्वाद और गंध विकृत हो जाते हैं। यह प्रक्रिया विकृतगंधिता कहलाती है। उदहारण खुला रखने पर समोसे का स्वाद और गंध बिगड़ जाना।
3. तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है ?
उत्तर - तेल एवं वसा युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से इसलिए प्रभावित किया जाता है, क्योंकि ये पदार्थ ऑक्सीजन के साथ उपचयन अभिक्रिया करते हैं तथा इससे उनके स्वाद और गंध बदल जाते हैं । नाइट्रोजन एक प्रतिऑक्सीकारक है, जो इन पदार्थों को उपचयन से बचाता है। अतः तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ विकृतगंधी नहीं होते हैं। इस तरह तेल तथा वसायुक्त पदार्थ खराब नहीं होते हैं।
4. धातु और अधातु के बीच भौतिक गुणों के आधार पर अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर - धातु और अधातु के बीच भौतिक गुणों के आधार पर अंतर :
धातु :-
1. धातुओं में एक विशेष प्रकार की चमक होती है।
2. धातु विद्युत धनात्मक होती हैं।
3. धातु ऊष्मा एवं विद्युत की सुचालक होती हैं।
4. धातु आघातवर्धनीय तथा तन्य होती हैं।
5. धातुओं के घनत्व उच्च होते हैं।
6. हथोड़ा को पीटने पर धातुओं से एक विशेष प्रकार की ध्वनि निकलती है। जिसे धात्विक ध्वनि कहते हैं।
7. साधारण ताप पर धातु ठोस अवस्था में होती हैं, सिर्फ मरकरी ही एक ऐसी धातु है जो साधारण ताप पर द्रव होती हैं।
अधातु :-
1. अधातु में ऐसी कोई चमक नहीं होती है। अपवाद आयोडीन एवं ग्रेफाइट में चमक होती है।
2. अधातु विद्युत ऋणआत्मक होती हैं सिर्फ हाइड्रोजन धनात्मक होता है।
3. अधातु ऊष्मा एवं विद्युत का कुचालक होती है, सिर्फ हाइड्रोजन एवं ग्रेफाइट विद्युत के सुचालक होते हैं।
4. अधातु आघातवर्धनीय तथा तन्य नहीं होती हैं अपवाद प्लास्टिक गंधक धन्य होता है ।
5. अधातु की घनत्व निम्न होते हैं।
6. अधातु से ध्वनि नहीं निकलते है और उसे पीटने पर टूट कर चूर-चूर हो जाती है।
7. अधातु साधारण ताप पर ठोस या गैस होती है सिर्फ ब्रोमीन साधारण ताप पर द्रव होती है।
5. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर - दोहरा परिसंचरण :- विऑक्सिजनित रक्त शरीर के विभिन्न भागों से महाशिराओं द्वारा दाएँ अलिंद में इकट्ठा किया जाता है। जब दायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह दाएँ निलय में चला जाता है। जब दायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह विऑक्सिजनित रक्त फुफ्फुस धमनी के माध्यम से फुस्फुस में चला जाता है, जहाँ पर गैसों का विनिमय होता है। यह रक्त ऑक्सिजनित होकर फुफ्फुस शिराओं के द्वारा वापिस हृदय में बाएँ अलिंद में आ जाता है। जब बायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह ऑक्सिजनित रक्त बाएँ निलय में आता है। जब बायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह रक्त शरीर के विभिन्न भागों में महाधमनी के माध्यम से वितरित किया जाता है।
अतः वही रक्त हृदय चक्र में हृदय में से दो बार गुज़रता है, एक बार ऑक्सिजनित तथा दूसरी बार विऑक्सिजनित रक्त के रूप में इसी को दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
महत्व :- हमारा हृदय चार कोष्ठकों से मिलकर बना है इसके ही कारण से हमारे शरीर के सभी भागों को ऑक्सिजनित रक्त वितरित किया जाता है। इसके कारण से ही कोशिकाओं व ऊतकों में ऑक्सीजन का वितरण सही आवश्यकता अनुसार बना रहता है।
6. मनुष्य में पोषण के विभिन्न चरणों की व्याख्या करें।
उत्तर - मनुष्य में पोषण के विभिन्न चरण निम्नलिखित हैं :-
(i) अंतर्ग्रहण भोजन को शरीर के भीतर अर्थात आहारनाल तक पहुँचाने की प्रक्रिया को 'अंतर्ग्रहण कहा जाता है। यह भोजन प्रक्रिया का प्रथम चरण है।
(ii) पाचन ठोस, जटिल तथा बड़े-बड़े अघुलनशील भोजन कणों को अनेक एंजाइमों की सहायता से तथा विभिन्न रासायनिक व भौतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से तरल, सरल और छोटे-छोटे घुलनशील कणों में बदलने की प्रक्रिया को पाचन कहा जाता है।
(iii) अवशोषण भोजन के कण छोटे हो जाते हैं, तो वे छोटी आंत की दीवार से गुजरते हुए खून में मिल जाते हैं। यह प्रक्रिया 'अवशोषण' कहलाती है।'
(iv) स्वांगीकरण-अवशोषित भोजन का शरीर के प्रत्येक भाग और प्रत्येक कोशिका तक पहुँचकर शरीर की वृद्धि व मरम्मत के लिए ऊर्जा उत्पादित करना 'स्वांगीकरण' कहलाता है।
(v) बहिष्करण-मूल के रूप में अनपचे भोजन के गुदा मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया 'बहिष्करण' कहलाता है ।
7. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर - पादप के प्ररोह तंत्र के द्वारा प्रकाश स्रोत की दिशा की ओर गति करना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्ररोह तंत्र का प्रकाश के प्रति धनात्मक अनुवर्तन होता है। यदि किसी पादप को गमले में लगा कर इसे किसी अंधेरे कमरे में रख दें जिसमें प्रकाश किसी खिड़की या दरवाजे की ओर से भीतर आता हो तो कुछ दिन के बाद प्ररोह का अग्रभाग स्वयं उसी दिशा में मुड़ जाता है जिस तरफ से प्रकाश कमरे में प्रवेश करता है। ऐसा इसलिए होता है कि प्ररोह शीर्ष केवल उसी दिशा में स्रावित होने वाले अधिक ऑक्सिन के प्रभाव से नष्ट हो जाता है जबकि विपरीत दिशा की तरफ हॉर्मोन उपस्थित रहता है। इस कारण प्ररोह प्रकाश की दिशा में मुड़ जाता है।
8. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर - जीवों ने नियंत्रण व समन्वय का एक तंत्र विकसित कर लिया है, क्योंकि :-
(i) यह शरीर की सभी प्रतिवर्त को नियंत्रित करता है, तथा इसकी पर्यावरण के हानिकारक परिवर्तनों से सुरक्षा करता है।
(ii) यह ऐच्छिक गतियों को नियंत्रण करता है।
(iii) यह अनैच्छिक गतियों को नियंत्रित करता है।
(iv) यह जीवों को सोचने, विचारने, विश्लेषण करने, निष्कर्ष निकलने, निर्णय लेने आदि की क्षमता प्रदान करता है।
(v) यह जीवों को अधिकतम लाभ के लिए उचित प्रकार से प्रतिक्रिया करने में सहायक है।
9. दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य सिनेप्स में क्या होता है ?
उत्तर - प्राणियों के शरीर में दो तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) एक-दूसरे के साथ जुड़कर श्रृंखला बनाते हैं और सुचना आगे प्रेषित करते हैं। सूचना एक तंत्रिका कोशिका के दुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है और एक रासायनिक क्रिया के द्वारा एक विद्युत्आ वेग उतपन्न करती है। यह आवेग दुमिका से कोशिकाओं तक पहुँचता है और ताँत्रिकाक्ष में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुंच जाता है। तंत्रीकाक्ष के अंत में विद्युत् आवेग के द्वारा कुछ रसायनों को उतपन्न कराया जाता है जो रिक्त स्थान (सिनेष्टिक दरार) को पार कर अपने से अगली तंत्रिका कोशिका की दुमिका में इस प्रकार विद्युत् आवेश को आरंभ कराते हैं। इसी प्रकार एक अंतर्ग्रथन ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिकाओं या ग्रंथियों तक ले जाता है।
10. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहां ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हो । क्या समस्याएं उत्पन्न हो सकते हैं ?
उत्तर - ग्राही वे कोशिकाएँ (न्यूरॉन) होती हैं जो संवेदना को ग्रहण करती हैं। ग्राहियों का कार्य पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों की सुचना ग्रहण करना तथा उन सूचनाओं को विश्लेषण हेतु तथा प्रतिक्रिया हेतु मस्तिष्क को भेजना है। यदि ग्राही उचित प्रकार से कार्य न करें तो हमारा शरीर उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया नहीं कर पाएगा। इससे शरीर को बहुत हानि पहुँच सकती है और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि हमारी आँख के ग्राही देखने कि संवेदना (प्रकाश) ग्रहण न करें, तो हम यह सुंदर संसार देख नहीं पाएँगे तथा अपने आपको अपाहिज अनुभव करेंगे।
11. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतयः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों ?
उत्तर - एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतयः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते हैं क्योंकि एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण कायिक कोशिकाओं द्वारा उपार्जित होते हैं। कायिक उत्तकों में होने वाले परिवर्तन, लैंगिक कोशिकाओं के DNA में नहीं जा सकते हैं। इस प्रकार किसी व्यक्ति के जीवन काल अर्जित अनुभव उसकी जनन कोशिकाओं के DNA में कोई अंतर नहीं लाता है, इसलिए ये लक्षण वंशानुगत नहीं होते हैं। उदहारण के लिए, यदि चूहों कि पूंछ काटकर जनन कराया जाए तो भी कई पीढ़ियों के बाद भी कोई बिना पूँछ वाला चूहा उत्पन्न नहीं होगा। इससे सिद्ध होता है कि उपार्जित लक्षण वंशानुगत नहीं होते हैं।
12. जीवाश्म क्या है ? वे जैव विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर - सामान्यतः जीवों की मृत्यु के बाद उनके शारीर का अपघटन हो जाता है। परन्तु कभी कभी जीव अथवा उसके कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं जिसके कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता है। जीवों के इसप्रकार के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई मृत गर्म मिटटी में सूख कर कठोर हो जाए तथा उसमें कीट के शरीर की छाप सुरक्षित रह जाए।
यदि किसी स्थान की खुदाई की जाए तो एक विशेष गहराई के बाद जीवाश्म मिलने लगते हैं। पृथ्वी की सतह के निकट वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्म की अपेक्षा अधिक नए होते हैं। जैव विकास को जानने की दोसरी विधि है कार्बन डेटिंग, जिसमें जीवाश्म में पाए जाने वाले तत्वों के विभिन्न समस्थानिकों के अनुपात के आधार पर जीवाश्म के समय निर्धारण किया जाता है।
13. क्या कारण है कि आकृति, आकर, रंग-रूप में इतने भित्र दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ?
उत्तर - आकृति, आकार, रंग रूप में भिन्न दिखाई देने वाले मानव एक ही स्पीशीज के हैं क्योंकि सभी मानवों में इन सब विभिन्ताओं के बावजूद शारीरिक रचना, संगठन क्रियाविधि आदि से संबंधित बहुत सी समानताएँ होती हैं। इसके अतिरिक्त इनमें पाए जाने वाले गुणसूत्रों की संख्या तथा उनकी संरचना भी समान होती है। इन प्रकार यह स्पष्ट है कि सभी मनुष्य एक ही स्पीशीज के हैं। इनमें ये भिन्नताएँ केवल अनुवांशिक विचलन, भौगोलिक परिस्थितियों में परिवर्तन का परिणाम है।
14. समजात अंग एवं समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर - समजात अंग (Homologous organs) विभिन्न जीवों में ऐसे अंग जिनकी आंतरिक संरचना एक समान होती है, परंतु कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। जैसे- मेंढक, पक्षी एवं मनुष्य के अग्रपादों में अस्थियों की समान आधारभूत संरचना। परंतु इनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। समरूप अंग (Analogous organs) विभिन्न जीवों में पाए जाने वाले ऐसे अंग जो एक समान कार्य करते हैं, परंतु संरचनात्मक रूप से अलग अलग होते हैं, उन्हें समरूप अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, कीट के पंख तथा पक्षी के पंख ।
15. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं, कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?
उत्तर - स्टेनले एल० मिलर एवं हेराल्ड सी० उरे द्वारा 1953 में एक प्रयोग किया। उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण को बनाया, जो संभवतः प्राथमिक वातावरण के समान था इसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे, लेकिन ऑक्सीजन के नहीं, पात्र में जल भी था। इसे 100 सेल्सियस से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गई, जैसे- आकाशीय बिजली कुछ दिन बाद 15 प्रतिशत कार्बन (मीन) सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए। इनमें एमीनों अम्ल भी संश्लेषित हुए जिनसे प्रोटीन के अणु बनते हैं। हम जानते हैं कि प्रोटीन जीवन का आधार है। इस तरह से हम कह सकते हैं, कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।
16. गोलीय दर्पण के ध्रुव, मुख्य फोकस, वक्रता केंद्र, फोकस एवं फोकस दूरी की परिभाषा लिखें ?
उत्तर -
ध्रुव :- गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते हैं। मुख्य अक्ष ध्रुव और वक्रता केंद्र से होकर जाने वाली काल्पनिक रेखा को मुख्य अक्ष कहते हैं।
वक्रता केंद्र :- गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है, इस गोले का केंद्र ही गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहलाता है।
फोकस :- मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है, मुख्य अक्ष के उस बिंदु को मुख्य फोकस कहते हैं।
फोकस दूरी :- ध्रुव और फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं।
17. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर - नवीकरणीय ऊर्जा के दो स्रोत निम्न हैं।
सौर ऊर्जा :- यह एक अनवरत ऊर्जा स्रोत है, जो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है तथा यह कभी खत्म नहीं हो सकता।
जल विद्युत ऊर्जा :- सूर्य के ताप के कारण जल चक्र सदैव चलता रहता है, जिससे विद्युत संयंत्रों के जलाशय में जल पुनः भर जाते हैं, अतः यह एक सदैव चलने वाली ऊर्जा स्रोत है। साथ ही इन दोनों ऊर्जा स्रोतों से किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है।
18. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?
उत्तर - नाभिकीय ऊर्जा के निम्नलिखित महत्त्व होते हैं :-
1. बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
2. इससे किसी प्रकार का धुआँ या हानिकारक गैसें नहीं निकलतीं, जिससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
3. यह ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत है तथा इसके द्वारा ऊर्जा की आवश्यकता का बड़ा भाग प्राप्त किया जा सकता है।
4. नाभिकीय विद्युत संयंत्र किसी भी स्थान पर स्थापित किए जा सकते हैं।
19. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर - पृथ्वी के अंदर गहराइयों में ताप परिवर्तन के फलस्वरूप कुछ पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती हैं, जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती हैं। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है, तो भाप उत्पन्न होती है। इन तप्त स्थलों से प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा भूतापीय ऊर्जा कहलाती है। इसे पाइपों द्वारा भी बाहर निकाला जाता है तथा उच्चदाब पर निकली इस भाप से टरबाइनों घुमाकर जनित्र द्वारा विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।
20. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर - महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊजाओं की निम्न सीमाएँ हैं :-
1. ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर से किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है, परंतु इस प्रकार के स्थान बहुत कम हैं, जहाँ बाँध बनाए जा सकते हैं।
2. इनका वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यंत प्रबल हों।
3. ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण की लागत बहुत अधिक है ।
4. इनके द्वारा ऊर्जा उत्पादन की दक्षता का मान बहुत कम है।
5. समुद्र में या समुद्र के किनारे स्थित विद्युत ऊर्जा संयंत्र के रखरखाव उच्चस्तरीय होनी चाहिए अन्यथा इसके क्षरण की संभावना बहुत अधिक होती है।
21. हमारी सुविधा के लिए पवन तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग मैं किस प्रकार के सुधार किए गए हैं ?
उत्तर - किसी एक पवन चक्की द्वारा उत्पन्न विद्युत बहुत कम होती है जिसका व्यापारिक उपयोग नहीं हो सकता। अतः किसी विशाल क्षेत्र में बहुत-सी पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तथा इन्हें जोड़ लिया जाता है, जिसके कारण प्राप्त कुल ऊर्जा सभी पवन चक्कियों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं के योग के बराबर हो जाती है। जल विद्युत उत्पन्न करने हेतु नदियों के बहाव को रोक कर बड़े जलाशयों में जल एकत्र करने के लिए ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जाते हैं। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बाँध के आधार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है, जिससे टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और विद्युत उत्पादन होता है ।
22. बाँधों के निर्माण में क्या समस्याएँ आती हैं ?
उत्तर - बाँधों के निर्माण में आने वाली समस्याएँ निम्नलिखित हैं :-
(i) बाँधों को केवल कुछ सीमित क्षेत्रों में ही बनाया जा सकता है।
(ii) बाँधों के निर्माण से बहुत-सी कृषियोग्य भूमि नष्ट हो जाते हैं।
(iii) बाँध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं।
(iv) जो पेड़-पौधे, जल में डूब जाते हैं वे सड़ने लगते हैं और विघटित होकर विशाल मात्रा में मेथेन गैस उत्पन्न करते हैं, जो कि एक ग्रीन हाउस गैस है।
(v) बाँधों के निर्माण से विस्थापित लोगों के संतोषजनक पुनर्वास की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
(vi) बड़ी संख्या में मानव आवास नष्ट हो जाते हैं।
23. जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर -
जैव मात्रा :-
1. यह जीवों के अपशिष्ट से बनती है।
2. यह प्रदूषण कारक इंधन होते हैं।
3. यह कम उपयोगी इंधन स्रोत हैं।
4. यह कम लागत वाले इंधन स्रोत हैं।
5. इनसे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता नहीं होती है।
6. इनसे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
जल विद्युत ऊर्जा :-
1. यह जल द्वारा उत्पन्न की गई विद्युत ऊर्जा है।
2. यह ऊर्जा स्रोत प्रदूषण रहित है।
3. यह अधिक उपयोगी ऊर्जा स्रोत है।
4. जल विद्युत निर्माण के लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता होती है जैसे बांध का निर्माण करना।
5. यह महंगा इंधन स्रोत है।
6. ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन अनिवार्य नहीं है।
24. समाप्य और असमाप्य ऊर्जा स्रोत क्या है, उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर -
समाप्य ऊर्जा स्रोत :- वैसे ऊर्जा स्रोत जो ज्यादा समय तक नहीं चल सकते हैं जिनकी मात्रा सीमित है तथा जो जल्दी ही समाप्त हो जाएंगे उन्हें समाप्त ऊर्जा स्रोत कहा जाता है। इन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी
कहते हैं। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम आदि।
आसमाप्य (अक्षय ऊर्जा स्रोत ) :- वैसे ऊर्जा स्रोत असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं, जो उपयोग के बाद भी समाप्त नहीं होंगे और जिन्हें दोबारा बनाया जा सकता है, असमाप्य (अक्षय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है। जैसे - सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि ।
25. जैव- आवर्धन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - विभिन्न फसलों को रोग, एवं पीड़कों से बचाने के लिए पीड़कनाशक एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करते हैं। ये रसायन बह कर मिट्टी में अथवा जल स्रोत में चले जाते हैं। मिट्टी से इन का पौधों द्वारा अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से यह जलीय पौधों एवं जंतुओं में प्रवेश कर जाते हैं। क्योंकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, यह प्रत्येक पोषी स्तर पर उतरोत्तर संग्रहित होते जाते हैं। इस प्रकार आहार श्रृंखला से हानिकारक रासायनिक पदार्थ हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं। क्योंकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है, अतः हमारे शरीर में यह हानिकारक रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं। इसे 'जैव- आवर्धन' कहते हैं।
26. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें) ?
उत्तर - यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को मार दिया जाए, तो इससे पहले वाले स्तर के जीवों की संख्या बहुत अधिक हो जाएगी। जिससे उनका भोजन तीव्रता से खत्म हो जाएगा, जबकि उससे बाद आने वाले पोषी स्तर को भोजन नहीं मिल पाएगा। अतः वे भोजन के अभाव में मर जाएँगे अथवा किसी अन्य स्थान पर चले जाएँगे।
उदाहरण :- यदि सभी शाकाहारी जंतु जैसे हिरण, खरगोश आदि मर जाएँगे तो अगले पोषी स्तर वाले जीव शेर, बाघ आदि को भोजन नहीं मिलेगा और वे या तो मर जाएँगे या पलायन करेंगे। इसी प्रकार हिरण, गाय, खरगोश आदि नहीं होने पर घास पौधे बहुत अधिक होंगे।
27. जैविक आवर्धन (biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर - फसलों की सुरक्षा के लिए पीड़कनाशक एवं हानिकारक रसायन जैसे अँजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यह प्रत्येक पोषी स्तर पर जीवों एवं पादपों के शरीर में संचित होते हैं, जिसे जैविक आवर्धन कहते हैं। भिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन भिन्न-भिन्न होता है। स्तरों के ऊपर की तरफ़ बढ़ने पर आवर्धन बढ़ता जाता है। चूंकि आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है। अतः हमारे शरीर में इसकी मात्रा सर्वाधिक होती है।
28. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर - अजैव निम्नीकरणीय कचरों से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ निम्न हैं :-
1. चूँकि इनका विघटन नहीं हो पाता है इसलिए लंबे समय तक बने रहने के कारण काफ़ी मात्रा में एकत्र हो जाते हैं, तथा पारितंत्र में असंतुलन पैदा करते हैं तथा पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं।
2. पॉलीथीन की थैलियाँ कुछ पालतू जानवर खा लेते हैं, जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती है।
3. नालियाँ जाम हो जाती है, जिससे मल-मूत्र आदि गंदे पदार्थों का वहन नहीं हो पाता है तथा गंदगी फैलती है, और अनेक प्रकार की बीमारियाँ होती हैं।
4. प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बों आदि में जल जमा होने के कारण ख़तरनाक रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया आदि की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
5. दवाइयों के स्ट्रिप्स बोतलों, कीटनाशी एवं रसायन आदि से जल एवं मृदा प्रदूषण होता है।
6. मिट्टी के अंदर दबे रहने के कारण फसलों की वृद्धि में रुकावट होती है तथा उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
7. इससे जैविक आवर्धन भी होता है।
8. इसे जलाने पर हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण करता है।
29. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निनीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर - हाँ, यदि उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तब भी इनका हमारे पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा परंतु लंबे समय के लिए नहीं अधिक मात्रा में कचरा होने के कारण सूक्ष्म जीव सही समय पर इनका विघटन नहीं कर पाएँगे, जिससे ये कचरा जमा हो जाएगा और मक्खियों, मच्छरों आदि को पनपने का अवसर मिलेगा, दुर्गंध फैलेगी, वायु प्रदूषण होगा, तथा बीमारियाँ फैलेगी। यदि इसका निपटान सही तरीके से होगा; जैसे-जैविक खाद बनाकर, तो कुछ ही समय में ये दुष्प्रभाव ख़त्म हो जाएँगे तथा पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होगा।
30. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निनीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर - जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को निम्न दो तरीकों से प्रभावित करते हैं।
1. पौधों तथा जंतुओं के अवशेष के अपघटन से वातावरण दूषित होता है तथा दुर्गध फैलती है, जिससे पास रहने वाले लोगों को परेशानी होती है।
2. कूड़े-कचरे के ढेर पर अनेक प्रकार की मक्खियाँ, मच्छर आदि पैदा होते हैं, जो कई प्रकार के रोगों के वाहक होते हैं।
3. मिथेन गैस, हाइड्रोजन सल्फाइड गैस, CO2 गैस अपघटन प्रक्रम में निकलते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
31. वन जैव विविधताओं के विशिष्ट स्थल हैं, कैसे ?
उत्तर - वन जैव विविधता के स्थल हैं क्योंकि वन में एक बड़ी संख्या में विभिन्न वनस्पति और जीव प्रजातियां पाई जाती है। परंतु जीवो के विभिन्न प्रजाति जैसे जीवाणु फल, पुष्पी पादप, क्रीम, कीट, पक्षी, सरीसृप इत्यादि भी वनों में मौजूद है। महाराष्ट्र और केरल के पश्चिम घाट जैव विविधता के आकर्षण केंद्र रहे हैं तथा हिमालय क्षेत्र भी जैव विविधता के केंद्र हैं।
32. हमें वन तथा वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?
उत्तर - हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण करना चाहिए क्योंकि,
1. वन मृदा तथा वातावरण की रक्षा करते हैं, तथा गैसीय संतुलन को स्थापित करते हैं।
2. वन वर्षा में सहायक है तथा जलवायु का रक्षण करते हैं।
3. वन महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधन है, वह वन्य प्राणियों को शरण भी प्रदान करते हैं।
4. हमें वनों के निवास करने वाले प्राणियों की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि
5. वन्य प्राणियों का संरक्षण जैविक विविधता एवं महत्त्वपूर्ण जीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक है।
6. वन्य प्राणी आहार श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ियां है, इनके रहने से पर्यावरण का संतुलन कायम रहता है।