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UP Board 12th Chemistry Exam 2024 : Important Question with Answers

UP Board 12th Chemistry Exam 2024 : Important Question with Answers

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UP बोर्ड 12वीं की Chemistry - रसायन विज्ञान परीक्षा 7th March, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।

यहाँ पर UP Board क्लास 12th के Chemistry - रसायन विज्ञान (UP Board Chemistry  Class 12th Exam 2024 VVI Most Important Question) से संबंधित महत्वपूर्ण Objective, Subjective Question ( बहुविकल्पीय, अतिलघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय)- प्रश्न दिए गए है। महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है जो बहुत ही अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किये गए है। इसमें प्रत्येक महत्वपूर्ण प्रश्नों को छांट कर एकत्रित किया गया है, जिससे कि विद्यार्थी कम समय में अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

UP Board Chemistry Class 12th Exam 2024 VVI Most Important Question

(बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. तापमान से स्वतंत्र सान्द्रता इकाई होती है-
(a) नार्मलता
(b) द्रव्यमान आयतन प्रतिशत
(c) मोललता
(d) मोलरता

उत्तर : (c) तापमान से स्वतंत्र सान्द्रता की इकाई मोललता होती है।

2. 180 ग्राम जल में जल के कितने मोल होते हैं?
(a) 1 मोल
(b) 18 मोल
(c ) 10 मोल
(d) 100 मोल

3. 

4. तनुता बढ़ाने पर विशिष्ट चालकता -
(a) बढ़ती है।
(b) घटती है।
(c) स्थिर रहती है।
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर : (b) तनुता बढ़ाने पर विशिष्ट चालकता घटती है क्योंकि आयनों की संख्या कम हो जाती है।

5. 

6.

7. रंगीन आयनों का निर्माण निम्न की उपस्थिति के कारण सम्भव होता है:
(a) अयुग्मित इलेक्ट्रॉन
(b) युग्मित इलेक्ट्रॉन
(c) अनाबन्धित इलेक्ट्रॉन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर : (a) रंगीन आयनों का निर्माण अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण सम्भव होता है।

8. निम्न में संक्रमण धातु ऑक्साइड लौह- चुम्बकत्व गुण दर्शाता है-
(a) MnO2
(b) TiO2
(c) VO2
(d) CrO2

उत्तर : (d) कुछ पदार्थ जैसे- लोहा, कोबाल्ट, निकेल और CrOबहुत प्रबलता से चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। इस प्रकार के पदार्थों को लौह चुम्बकीय पदार्थ कहा जाता है।

9.

10.

11. निम्नलिखित यौगिकों में कौन पर्यावरणीय संकट उत्पन्न कर रहा है?
(a) DDT
(b) फ्रेआन
(c) कार्बन टेट्राक्लोराइड
(d) इनमें से सभी

उत्तर : (d) इनमें सभी DDT (कीटाणुनाशक), फ्रेआन ( प्रशीतक एवं ओजोन परत अवक्षय), कार्बन टेट्रा क्लोराइड (अग्निशामक) पर्यावरणीय संकट उत्पन्न कर रहे हैं।

12. क्लोरोफार्म प्रकाश की उपस्थिति में आक्सीकृत होकर बनाता है -
(a) कार्बन टेट्राक्लोराइड
(b) कार्बोनिल क्लोराइड
(c) डाइक्लोरोमेथेन
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर : (b) क्लोरोफार्म प्रकाश की उपस्थिति में आक्सीकृत होकर कार्बोनिल क्लोराइड (फॉस्जीन गैस) बनाता है।

13.


उत्तर: (c) दिये गये कार्बनिक यौगिक का IUPAC नाम - 3- मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल

14. फिनॉल को नाइट्रिक अम्ल के साथ गर्म करने पर प्राप्त होता है-
(a) क्लोरीटोन
(b) पिक्रिक अम्ल
(c) मेथाक्सी बेंजीन
(d) बेंजीन

उत्तर : (b) फिनॉल को नाइट्रिक अम्ल के साथ गर्म करने पर पिक्रिक अम्ल प्राप्त होता है।

15. बेन्ज़ैल्डिहाइड से बेन्जिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है-
(a) ऐल्डोल संघनन द्वारा
(b) कैनिज़ारो अभिक्रिया द्वारा
(c) गाटरमान - काँख अभिक्रिया द्वारा
(d) क्लीमेन्सन अपचयन द्वारा

उत्तर : (b) कैनिज़ारो अभिक्रिया द्वारा बेन्ज़ैल्डिहाइड से बेन्जिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।

16. कैनिज़ारो अभिक्रिया द्वारा फॉर्मेल्डिहाइड बनाता है:
(a) मेथैन
(b) मेथिल ऐल्कोहॉल
(c) मेथिल सायनाइड
(d) ऐथिल ऐमीन

उत्तर : (b) कैनिज़ारो अभिक्रिया द्वारा फॉर्मेल्डिहाइड, मेथिल ऐल्कोहॉल बनाता है।

17. हिन्सबर्ग अभिकर्मक होता है-
(a) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल
(b) बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड
(c) बेन्जीन सल्फोनेमाइड
(d) फ़ेनिल आइसोसायनाइड

उत्तर : (b) बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड को ही हिन्सबर्ग अभिकर्मक के नाम से जाना जात है। यह प्राथमिक और द्वितीयक ऐमीन के साथ अभिक्रिया कर सल्फोनेमाइडस बनाता है। हिन्सबर्ग अभिकर्मक के द्वारा द्वितीयक और तृतीयक ऐमीन में विभेद किया जा सकता है

18. R-NH2 + CHCI3 + 3KOH (alc.) → RNC + 3KCI उपर्युक्त अभिक्रिया है:
(a) युग्मन अभिक्रिया
(b) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया
(c) हॉफमान ब्रोमामाइड अभिक्रिया
(d) श्मिट अभिक्रिया |

उत्तर : (b) प्राथमिक एमीन (R-NH2) का एल्कोहल युक्त क्षारीय माध्यम में क्लोरोफार्म (CHCI3) के साथ अभिक्रिया करके दुर्गन्धयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड बनाने की अभिक्रिया कार्बिल एमीन अभिक्रिया कहलाती है।

उपर्युक्त अभिक्रिया प्राथमिक एमीन के परीक्षण के लिए प्रयोग की जाती है। इस अभिक्रिया को कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते है। इसमें आइसोसायनाइड यौगिक के बनने के कारण एक विशेष प्रकार की तीक्ष्ण गन्ध होती है।

19. निम्नलिखित में से कौन सा क्षारक DNA में उपस्थित नहीं होता है ?
(a) ऐडेनीन
(b) थायमीन
(c) यूरेसिल
(d) ग्वानीन

उत्तर : (c) DNA में उपस्थित क्षारक ऐडेनीन, ग्वानीन, साइटोसीन, व थायमीन है। तथा RNA में उपस्थित क्षारक ऐडेनीन, ग्वानीन, साइटोसीन व यूरेसिल है । अतः DNA में यूरेसिल क्षारक उपस्थित नहीं होता है।

20. ग्लूकोज में कितने प्राथमिक एल्कोहॉलिक समूह होते हैं?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार

उत्तर : (a) ग्लूकोस की संरचना-

ग्लूकोस में एक प्राथमिक एल्कोहालिक समूह तथा चार द्वितीयक एल्कोहालिक समूह उपस्थित होते हैं।

(अति लघुउत्तरीय प्रश्न)

1. 0.1M यूरिया तथा 0.1M NaCl विलयन में किसका परासरण दाब अधिक होगा? कारण स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर : 0.1 M यूरिया तथा 0.1M NaCl विलयन में 0.1M NaCl विलयन का परासरण दाब अधिक होगा। क्योकि जल में घोलने पर यह दो आयनों में वियोजित हो जाता है। अतः इसका वांटहाफ गुणांक 2 (0.1 M) यूरिया विलयन से अधिक है। इस कारण इसका परासरण दाब अधिक है।

2. परासरण दाब को परिभाषित कीजिए। आप कैसे प्रदर्शित करेंगे कि परासण दाब एक अणुसंख्य गुणधर्म है?

उत्तर : परासरण दाब - एक विलयन का परासरण दाब वह अतिरिक्त दाब है, जो परासरण को रोकने अर्थात् विलायक के अणुओं को एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा विलयन में जाने से रोकने के लिए लगाया जाता है। परासरण दाब एक अणुसंख्यक गुण है, जो कि विलेय कि अणु संख्या पर निर्भर करता है, न कि उसकी प्रकृति पर। तनु विलयनों के लिए प्रायोगिक तौर पर यह पाया गया है कि परासरण दाब दिए गए ताप T पर, मोलरता, C के समानुपातिक होता है। अतः परासरण दाब π = CRT

जहाँ π परासरण दाब एवं R गैस नियतांक है । 

3. किसी विलयन की चालकता तनुता के साथ क्यों घटती है?

उत्तर : दुर्बल एवं प्रबल दोनों प्रकार के वैद्युत अपघट्यों की सान्द्रता घटाने पर चालकता घट जाती है। अर्थात् तनुकरण करने पर प्रतिइकाई आयतन में विद्युत धारा को वहन करने वाले आयनों की संख्या घट जाती है।

विलयन की सांद्रता घटने पर उसकी मोलर चालकता बढ़ती है। इसका मुख्य कारण उसके कुल आयतन में हुई वृद्धि है जिसमें एक मोल वैद्युत अपघट्य उपस्थित हो । प्रबल वैद्युत अपघट्यों के लिए मोलर चालकता का मान तनुता के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है।

4. सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की छड़ डुबोने पर घोल का रंग नीला क्यों हो जाता है? व्याख्या कीजिए ।

उत्तर : सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की छड़ डुबोने पर घोल का रंग Cu2+ आयन के कारण नीला हो जाता है। क्योकि Cu, Ag को उसके विलयन सिल्वर नाइट्रेट से विस्थापित करके कॉपर नाइट्रेट बनाता है।

5. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्द्ध- आयुकाल का सूत्र लिखिए।

उत्तर : प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्द्ध- आयुकाल का सूत्र

 जहाँ K प्रथम कोटि कि अभिक्रिया का वेग स्थिरांक है।

6. किसी रासायनिक अभिक्रिया के लिए अर्धायु क्या होती है? प्रदर्शित कीजिए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया की अर्धायु अभिक्रियकों की प्रारंभिक सान्द्रताओं पर निर्भर नहीं करती है।

उत्तर : अर्धायु- किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिक्रियकों की प्रारंभिक सान्द्रता के 50% तक पहुचने में लगने वाला समय ही उस रासायनिक अभिक्रिया का अर्द्ध-आयु कहलाता है। इसे t1/2 से प्रदर्शित करते है । इसका मात्रक सेकेण्ड होता है।

प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्द्ध-आयु  जहाँ K प्रथम कोटि कि अभिक्रिया का वेग स्थिरांक है। अतः उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया कि अर्द्ध-आयु अभिक्रियकों कि प्रारंभिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती है ।

7. संक्रमण धातुओं की परमाणु त्रिज्याएँ किसी श्रेणी में किस प्रकार परिवर्तित होती हैं और क्यों?

उत्तर : किसी संक्रमण श्रेणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ ही नाभिकीय आवेश बढ़ता है, जिसके कारण संक्रमण धातुओं की परमाणु त्रिज्याएँ घटती है। परन्तु d-उपकोश में इलेक्ट्रॉन बढ़ने पर परिरक्षण प्रभाव बढ़ता है, जो बढ़े हुए नाभिकीय आवेश को संतुलित करता है। अतः इस प्रकार किसी संक्रमण श्रेणी में परमाणु त्रिज्याएँ पहले तीव्रता से बढ़ती है, फिर धीरे-धीरे घटने लगती है।

8. संक्रमण धातुओं के आयन प्रायः अनुचुम्बकीय होते हैं। क्यों?

उत्तर : संक्रमण धातु आयनों में प्रतिचुम्बकत्व तथा अनुचुम्बकत्व दोनों होते हैं अर्थात् इनमें दो विपरीत प्रभाव पाए जाते हैं, इसलिए परिकलित चुम्बकीय आघूर्ण इनका परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण माना जाता है। चूंकि d° (Sc3+, Ti4+) या d10 (Cu+, Zn2+) विन्यासों को
छोड़कर, संक्रमण धातुओं के सभी सरल आयनों में इनके (n - 1)d उपकोशों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, अतः संक्रमण धातुएं तथा उनके अधिकांश यौगिक अनुचुम्बकीय होते हैं।

9. निम्नलिखित उपसहसंयोजन यौगिकों के सूत्र I.U.P.A.C नियमों के आधार पर लिखिए-


10. उपसहसंयोजन यौगिक [Cu(NH3)4] SO4 में कॉपर (Cu) की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए ।

11. निम्नलिखित यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. पद्धति में नाम लिखिए - (CH3)3C – CH2Br,

उत्तर: (CH3)3C – CH2Br का आई. यू. पी. ए. सी. नाम-

1-ब्रोमो-2, 2- डाई मेथिल प्रोपेन

12. क्लोरोबेन्जीन का उदाहरण लेते हुए फ्रीडल - क्राप्ट्स अभिक्रिया समझाइये |

उत्तर : फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया -

13. एल्कोहल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग नहीं करते हैं।

उत्तरः एल्कोहल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग इसलिए नही करते हैं क्योंकि KI सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करके पोटैशियम सल्फेट (K2SO4) बना लेता है।

14. फीनाल अम्लीय गुण प्रदर्शित करता है, लेकिन एथेनाल लगभग उदासीन होता है । क्यों ?

उत्तर : फीनॉल, एल्कोहॉलो से अनुनाद स्थायीकरण के कारण अधिक अम्लीय होता है। इसी कारण फीनॉल अम्लीय गुण प्रदर्शित करता है। लेकिन एथेनाल लगभग उदासीन होता है 

15. ऐसीटिलीकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर : ऐसीटिलीकरण एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें एक कार्बनिक यौगिक में एक एसिटिल समूह ( CH3CO - ) के लिए हाइड्रोजन परमाणु को प्रतिस्थापित करना ऐसिटिलीकरण कहलाता है। जब ऍल्कोहल को किसी एसिड से अभिक्रिया करता है, तब
एस्टर बनने कि अभिक्रिया ऐसीटिलीकरण कहलाती है।

16. कीटोन फेहलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करते, जबकि फ्रक्टोस कीटोन समूह होते हुए भी कर देता है। क्यों?

उत्तर : कीटोन, फेहलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करते हैं, जबकि फ्रक्टोस कीटोन समूह होते हुए भी कर देता है क्योंकि फ्रक्टोस में प्राथमिक अल्कोहल समूह उपस्थित होने के कारण यह अभिक्रिया सम्पन्न होती है। जिसमें प्राथमिक अल्कोहल समूहक (-CH2OH) फेहलिंग विलयन तथा टालेन अभिकर्मक की उपस्थिति में ऑक्सीकृत होकर ऐल्डीहाइड समूह (- CHO) में परिवर्तित हो जाता है, जो फेहलिंग विलयन तथा टालेन अभिकर्मक को अपचयित करता है।

17. एनीलिन फ्रिडल - क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती है। कारण बताइएः 

उत्तर : फ्रीडल - क्राफ्ट्स अभिक्रिया लुइस अम्ल निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में होती है। जबकि एनीलिन क्षारीय प्रकृति का होता है। जिसके कारण एनीलिन निर्जल AICI3 से अभिक्रिया करके लवण का निर्माण कर लेता है। इसमें - NH2 समूह होने के कारण इससे
बेन्जीन वलय निष्क्रिय हो जाती है। अतः एनीलिन फ्रीडल - क्राफ्ट्स अभिक्रिया नही प्रदर्शित करता है।

18. एथिल एमीन जल में विलेय है जबकि एनीलिन नहीं । कारण बताइएः 

उत्तर : अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध के कारण एथिल एमीन जल में घुलनशील होता है जबकि एनीलिन में हाइड्रोजन बन्ध अनुनाद प्रभाव के कारण नगण्य होता है। इसीलिए यह जल में अविलेय (अघुलनशील) होता है।

19. एक डाईसैकराइड का नाम तथा अणुसूत्र लिखिए ।

उत्तर : डाईसैकराइड का नाम - सुक्रोज

डाईसैकराइड का अणुसूत्र - C12H22O11

20. प्रोटीन की प्राथमिक तथा द्वितीयक संरचना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: प्रोटीन की प्राथमिक संरचना- किसी प्रोटीन के पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्लों के जुड़ने का एक विशिष्ट क्रम प्रोटीन की प्राथमिक (1°) संरचना कहलाता है।

प्रोटीन की द्वितीयक संरचना- किसी प्रोटीन की द्वितीयक (2o) संरचना का सम्बन्ध उस आकृति से है, जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला पायी जाती है। ये संरचनाएँ दो प्रकार की होती है; α- हैलिक्स तथा β-प्लीटेड शीट संरचना ।

(लघु उत्तरीय प्रश्न)

1. राउल्ट के नियम को परिभाषित कीजिए तथा उसकी सीमाएँ लिखिए।

उत्तर : राउल्ट का नियम- इनके अनुसार “किसी विलयन के प्रत्येक वाष्पशील अवयव का आंशिक वाष्पदाब इसके मोल - अंश के समानुपाती होता है।”

यदि विलायक का वाष्पदाब p1 व इसका मोल अंश x हो तथा इसकी शुद्ध अवस्था का वाष्पदाब हो, तो राउल्ट के नियम के अनुसार


राउल्ट नियम की सीमाएँ-
1. राउल्ट का नियम तनु विलयनों पर लागू होता है । सान्द्र विलयन पर यह विचलन प्रदर्शित करता है ।
2. यह नियम केवल अवाष्पशील पदार्थों के विलयनों पर लागू होता है।
3. वैद्युत अपघट्यों के विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है।
4.जो पदार्थ विलयनों में संगुणित हो जाते हैं, उन पदार्थों के विलयन भी राउल्ट के नियम का पालन नहीं करते हैं।

2. ग्लूकोस के जल में बने विलयन की सान्द्रता 10% (w/w) है। यदि इस विलयन का घनत्व 1.20 glmL-1 हो तो गणना कीजिए-
(i) मोललता
(ii) मोलरता
(iii) विलयन में प्रत्येक घटक का मोल - अंश

उत्तर : 10% (w/w) ग्लूकोज विलयन का अर्थ है कि 100g विलयन में 10g ग्लूकोज है तथा 90g जल है । तब

3.

4. कोलराडश के नियम को परिभाषित कीजिए। इससे दुर्बल अम्ल का वियोजन स्थिरांक किस प्रकार ज्ञात किया जाता है?

5.


6.

7. Cr (Z = 24) तथा Cu (Z = 29 ) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए तथा संक्रमण तत्त्वों के दो प्रमुख लक्षणों की व्याख्या भी कीजिए।

उत्तर : Cr (Z = 24) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - [ Ar]3d5, 4s1
Cu (Z = 29) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - [Ar]3d10, 4s1

संक्रमण तत्त्वों के दो प्रमुख लक्षण-
(i) ऑक्सीकरण अवस्था -
ये तत्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि इनके बाह्यतम कक्ष की s- उपकोश तथा बाह्यतम कक्ष से पहली कक्ष की d-उपकोश की ऊर्जाओं में बहुत कम अन्तर होता है ।
(ii) रंगीन लवणों का बनना - जिन संक्रमण तत्वों के d-कक्षक पूर्ण होते हैं वे रंगहीन होते हैं क्योंकि इनमें d-d संक्रमण नहीं होता अर्थात् दृश्य क्षेत्र के प्रकाश का शोषण नहीं होता । जिन संक्रमण तत्वों के d-कक्षक अपूर्ण होते हैं उनके विलयन रंगीन लवण बनाते हैं, क्योंकि d कक्षक अपूर्ण होने के कारण इनमें d-d संक्रमण होता है।

8. निम्नलिखित के सूत्र लिखिए:
(a) सफेद कसीस|
(b) नीला थोथा
(c) हरा कसीस
(d) मोहर लवण

9.

10.

11. क्लोरोबेंजीन का CI परमाणु, क्लोरोएथेन के Cl परमाणु की तुलना में कम क्रियाशील क्यों होता है? क्लोरोबेन्जीन की (i) Cl2 तथा (ii) सान्द्र H2SO4 से होने वाली अभिक्रियाओं का रासायनिक समीकरण लिखिए।

उत्तर : क्लोरोबेंजीन का C/ परमाणु, क्लोरोएथेन के C/ परमाणु की तुलना में कम क्रियाशील होता है क्योंकि क्लोरोबेंजीन के एंकाकी इलेक्ट्रान युग्म अनुनाद प्रभाव में भाग लेने के कारण कम सक्रिय होते हैं।

(i) क्लोरोबेन्जीन की Cl2 से अभिक्रिया- हैलोजेनवाहक (Fe, FeCl3, FeBr3) की उपस्थिति में हैलोजेनों (Cl2/Br2/I2) के साथ अभिक्रिया कराने पर डाइक्लोरोबेन्ज़ीन प्राप्त होता है।

(ii) क्लोरोबेन्ज़ीन की सान्द्र H2SO4 से अभिक्रिया - क्लोरोबेन्ज़ीन को सधूम H2SO4 के साथ गर्म करने पर क्लोरोबेन्ज़ीन सल्फोनिक अम्ल प्राप्त होता है।

12. निम्नलिखित को क्लोरोबेन्ज़ीन से कैसे प्राप्त करेंगे (केवल रासायनिक समीकरण लिखिए) ?
(i) पिक्रिक अम्ल
(ii) डाइक्लोरोबेन्ज़ीन
(iii) क्लोरोबेन्ज़ीन सल्फोनिक अम्ल

13. ऐथेनॉल के निर्जलीकरण की क्रियाविधि लिखिए।

उत्तर : एथेनॉल के निर्जलन अभिक्रिया की क्रियाविधि -

14. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए:
(a) राइमर - टीमन अभिक्रिया |
(b) कोल्बे अभिक्रिया
(c) विलियम्सन ईथर संश्लेषण
(d) फ्रीडल - क्राफ्ट्स अभिक्रिया

उत्तर : (a) राइमर - टीमन अभिक्रिया- फीनॉल की 67°C ताप पर जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म से क्रिया कराने पर तथा प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने पर वलय के आर्थोस्थान पर एल्डीहाइड समूह का प्रवेश हो जाता है तथा मुख्य उत्पाद के रूप में आर्थोहाइड्रॉक्सी बेन्जैल्डीहाइड (सैलिसेल्डीहाइड) की प्राप्ति होती है। इस अभिक्रिया को रीमर - टीमान अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण-


15. एक ऐरोमैटिक कार्बनिक यौगिक A जलीय अमोनिया के साथ उपचार करने एवं गर्म करने पर यौगिक B बनाता है, जो Br2 एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणुसूत्र C6 H7 N वाला यौगिक C बनाता है। A, B एवं C यौगिकों की संरचनाएँ एवं इनके नाम लिखिए ।

16. बेन्जल्डीहाइड का संरचना सूत्र लिखिए। बेन्जल्डीहाइड पर (i) NH2NH2, (ii) टालेन अभिकर्मक तथा (iii) NaOH की अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।

17. प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐमीनों की पहचान कीजिए। (रासायनिक समीकरण लिखिए)

उत्तर : प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐमीनों की पहचान के लिए हिंसबर्ग परीक्षण किया जाता है।

हिंसबर्ग परीक्षण में अज्ञात एमीन को KOH के आधिक्य में बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO2CI) के साथ हिलाया जाता है। बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO2CI) को हिंसबर्ग अभिकर्मक के नाम से जानते है।

18. एथेनेमीन से निम्नलिखित को होने वाली अभिक्रिया का सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए:
(i) NaNO2 + तनु HCI
(ii) हिन्सबर्ग अभिकर्मक |

19. कार्बोहाइड्रेटों के D तथा L विन्यासों से आप क्या समझते हैं? D- ग्लूकोस तथा D- फ्रक्टोस के संरचना सूत्र बनाइए ।

उत्तर : कार्बोहाइड्रेटों के D तथा L विन्यासों का अर्थ- कार्बोहाइड्रेटो के D विन्यास का अर्थ है कि कार्बोहाइड्रेट दक्षिण ध्रुवण घूर्णक है। अर्थात उसका त्रिविम समावयवी दक्षिण ध्रुव घूर्णक होता है। जबकि कार्बोहाइड्रेटों के L विन्यास का अर्थ है कि कार्बोहाइड्रेट वाम ध्रुवण घूर्णक है। अर्थात उसका त्रिविम समावयवी वाम ध्रुवण घूर्णक होता है।

उदाहरण-

20. रासायनिक समीकरण देते हुए सिद्ध कीजए कि ग्लूकोस अणु में पाँच - OH समूह तथा एक -CHO समूह उपस्थित होते हैं। ग्लूकोस से रजत दर्पण कैसे बनता है?

उत्तर : ग्लूकोस अणु में पाँच - OH समूह की पुष्टि - ग्लूकोस की क्रिया PCl5 के 5 अणुओं के साथ कराने पर पेन्टाक्लोरो ग्लूकोस प्राप्त होता है जिससे यह सिद्ध होता है कि ग्लूकोस में पाँच- OH समूह उपस्थित है।

21. क्या होता है, जबकि - (केवल रासायनिक समीकरण लिखिए।)
(i) ऐसीटैल्डिहाइड की क्रिया टॉलेन अभिकर्मक से कराई जाती है।
(ii) फार्मेल्डिहाइड की क्रिया NaOH के साथ होती है।
(iii) बेन्जामाइड का अम्लीय जल अपघटन कराया जाता है।

उत्तर : (i) ऐसिटेल्डिहाइड की टॉलेन अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया-

22. निम्न कैसे प्राप्त करेंगे?
(i) सोडियम एथॉक्साइड से डाइएथिल ईथर
(ii) बेन्जिल क्लोराइड से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(iii) एथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड से प्रोपेन- 1 - ऑल

उत्तरः (i) सोडियम एथॉक्साइड से डाइएथिल ईथर -

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

1. मोल प्रभा से आप क्या समझते हैं? विलेय के मोल प्रभाज एवं वाष्प दाब के अवनमन में सम्बन्ध का समीकरण लिखिए। यूरिया का एक विलयन भारानुसार 6% है। विलयन में यूरिया तथा जल का मोल प्रभाज ज्ञात कीजिए। ( यूरिया का अणुभार = 60 )

उत्तर: मोल प्रभाज- किसी भी विलयन में उपस्थित एक घटक के कुल मोलों की संख्या उसमें उपस्थित सभी घटकों के कुल मोलो की संख्या का अनुपात ही उस घटक का मोल प्रभाज या मोल अंश कहलाता है। इसे x से प्रदर्शित करते हैं।

माना, किसी विलयन में दो घटक A व B उपस्थित है। जिनके मोलो की संख्या क्रमशः nA, nB हो तो

विलेय के मोल प्रभाज एवं वाष्प दाब के अवनमन में सम्बन्ध- विलायक के प्रारम्भिक वाष्पदाब (P°) के सापेक्ष विलयन में विलायक के वाष्पदाब में कमी (Po- P= ΔP ), वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन कहलाता है तथा इसका मान विलेय के मोल अंश के बराबर होता है। जो निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित है।

2. अर्द्ध सेलों के विभवान्तर को कैसे ज्ञात करते हैं? इसकी उपयोगिताओं को लिखिए।

उत्तर : अर्द्ध सेलों के विभवान्तर का मापन - दो अर्ध सेलों के विभवों में अंतर ज्ञात कर सेलों का विभवान्तर मापा जाता है। इससे सेलों का emf भी प्राप्त होता है। इस प्रकार एक इलैक्ट्रोड (अर्ध सेल) का विभव चयनित कर इसके सापेक्ष दूसरे अर्ध सेल का विभव
ज्ञात किया जाता है। परिपाटी के अनुसार मानक हाइड्रोजन इलैक्ट्रोड नामक अर्ध सेल को Pt(s) | H2(g) | H+(aq) द्वारा निरूपित किया जाता है, इसका विभव निम्नलिखित अभिक्रिया के संगत समस्त तापों पर, शून्य निर्दिष्ट किया गया है।


मानक हाइड्रोजन इलैक्ट्रोड में प्लैटिनम ब्लैक से लेपित प्लैटिनम इलैक्ट्रोड होता है । इलैक्ट्रोड अम्लीय विलयन में निमज्जित होता है एवं इस पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस निकलती की जाती है। हाइड्रोजन की अपचित एवं आक्सीकृत दोनों अवस्थाओं की सांद्रता, इकाई मान पर स्थिर रखी जाती है। इसका अर्थ है कि विलयन में हाइड्रोजन गैस का दाब 1 bar एवं हाइड्रोजन आयन की सांद्रता एक मोलर होती है।

हाइड्रोजन इलैक्ट्रोड को ऐनोड ( संदर्भ अर्ध सेल) तथा किसी दूसरी सेल को कैथोड के स्थान पर लेकर बनाई गई एक सेल जिसे- मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड कहा जाता है। दूसरीअर्ध सेल का 298K पर emf, दूसरी अर्ध सेल के अपचयन विभव का मान देता है। यदि
दाहिनी ओर वाले अर्ध सेल की अपचित एवं ऑक्सीकृत स्पीशीज की सांद्रताएं इकाई हों तो उपरोक्त सेल का विभव, दाहिनी ओर के अर्ध

उपयोगिता-
(i) मानक इलैक्ट्रोड विभव बहुत महत्वपूर्ण है एवं हम इनसे कई महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।
(ii) यदि किसी इलैक्ट्रोड का मानक इलैक्ट्रोड विभव शून्य से अधिक होता है तो इसकी अपचित अवस्था हाइड्रोजन गैस से अधिक स्थायी होती है।
(iii) यदि मानक इलैक्ट्रोड विभव उच्चतम है। यह इंगित करता है कि फ्लुओरीन गैस (F2) की फ्लुओराइड आयन (F-) में अपचित होने की प्रवृत्ति अधिकतम है। अतः फ्लुओरीन गैस प्रबलतम ऑक्सीकारक है एवं फ्लुओराइड आयन दुर्बलतम अपचायक है।
(iv) लीथियम का इलैक्ट्रोड विभव न्यूनतम है, यह इंगित करता है कि लीथियम आयन दुर्बलतम ऑक्सीकारक है जबकि लीथियम धातु जलीय विलयनों में प्रबलतम अपचायक हैं।
(v) ऊपर से नीचे की ओर जातें हैं तो मानक इलैक्ट्रोड विभव कम होता जाता है एवं इसी के साथ अभिक्रिया के बायीं ओर की स्पीशीज की ऑक्सीकारक क्षमता बढ़ती है तथा दायीं ओर के स्पीशीज की अपचयन क्षमता बढ़ती है।
(vi) वैद्युत रासायनिक सेलों का व्यापक उपयोग विलयनों की PH ज्ञात करने में, विलेयता गुणनफल, साम्यावस्था स्थिरांक तथा अन्य ऊष्मागतिकीय गुणों एवं विभवमितीय अनुमापनों में होता है।

3. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक के लिए इकाई तथा व्यंजक लिखिए।

उत्तर: प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई सेकेण्ड-1 है |

4. संक्रमण तत्व क्या हैं? प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के नाम और उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। संक्रमण धातुएँ तथा उनके ज्यादातर यौगिक अनुचुम्बकीय होते हैं। समझाइए |

उत्तर : संक्रमण तत्व - ऐसे तत्व जिनके परमाणु तथा आयन में d कक्षक अपूर्ण होते हैं तथा उनके गुण s तथा p-ब्लॉक में स्थित तत्वों के मध्य होते है, संक्रमण तत्व कहलाते हैं।

संक्रमण तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - सामान्य रूप से इन तत्वों के बाह्य कक्षकों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10ns1-2 है।

(n-1) आंतरिक d कक्षकों को इंगित करता है, जिनमें एक से दस इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं तथा बाह्यतम ns कक्षक में एक अथवा दो इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं। परंतु (n-1) d तथा ns कक्षकों की ऊर्जाओं में बहुत कम अंतर के कारण इस सामान्य नियम के अनेक अपवाद
हैं। पुनश्चः अर्ध एवं पूर्ण भरित कक्षकों का स्थायित्व अपेक्षाकृत अधिक होता है। आंशिक रूप से भरित d कक्षकों के कारण ये तत्व कुछ अभिलक्षणिक गुण दर्शाते है। जैसे- अनेक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ, रंगीन आयनों का बनना तथा अनेक प्रकार से लिगन्डों के
साथ संकुल निर्माण आदि ।

प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के नाम और उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-

संक्रमण धातुएँ तथा उनके ज्यादातर यौगिकों की अनुचुम्बकीय प्रवृत्ति-

पदार्थो में अनुचुम्बकत्व की उत्पत्ति, अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण होती है। प्रतिचुम्बकीय पदार्थ वे होते हैं जिनमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं। संक्रमण धातु आयनों में प्रतिचुम्बकत्व तथा अनुचुम्बकत्व दोनों होते हैं अर्थात् इनमें दो विपरीत प्रभाव पाए जाते हैं, इसलिए परिकलित चुम्बकीय आघूर्ण इनका परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण माना जाता है। चूंकि d° (Sc3+, Ti4+) या d10 (Cu+, Zn2+) विन्यासों को छोड़कर, संक्रमण धातुओं के सभी सरल आयनों में इनके (n - 1)d उपकोशों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, अतः संक्रमण धातुएं तथा उनके अधिकांश यौगिक अनुचुम्बकीय होते हैं।

5. उपसहसंयोजी यौगिकों के IUPAC पद्धति में नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर : उपसहसंयोजी यौगिकों के IUPAC पद्धति में नामकरण- इनके नामकरण के लिए निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना होता है।

(i) आयनिक सकुलों में भी साधारण लवणों की तरह ही पहले धनात्मक आयन को लिखा जाता है। इसके बाद ऋणात्मक आयन का नाम लिखा जाता है। जैसे - K4[Fe(CN)6] → 4K+ + [Fe(CN)6]4- इसमें K+ आयन धनात्मक है। अतः इसका नाम सबसे पहले
लिखा जाएगा तथा [Fe(CN)6]4- का नाम बाद में लिखा जाएगा।
(ii) उपसहयोंजक यौगिकों के नामकरण में पहले लिगैण्ड का नाम लिखते हैं। इससे पहले इसकी संख्या को लिखा जाता है। लिगैण्डों का नाम लिखने के बाद केन्द्रीय धातु आयन का नाम लिखते हैं। जैसे - [Co(NH3)6] का IUPAC नाम - हेक्साएमीन कोबाल्ट (III)
(iii) केन्द्रीय धातु आयन के नाम के बाद उसकी ऑक्सीकरण अवस्था को रोमन संख्या में कोष्टक के बीच में लिखते हैं। लिगैण्डों की ऑक्सीकरण संख्या यदि ज्ञात हो तो केन्द्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था आसानी से ज्ञात कर सकते है ।
जैसे- K4[Fe(CN)6] में Fe की ऑक्सीकरण अवस्था =4xK की ऑक्सीकरण अवस्था + x + 6 x (CN) लिगैण्ड की ऑक्सीकरण संख्या = 0


(iv) जब संकर यौगिक में एक से अधिक लिर्गेण्ड उपस्थित होते हैं तो इनके नामकरण में अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम का उपयोग करते हैं। एक से अधिक लिगेंण्डों के नाम निम्न प्रकार से है-

(vi) धन आयनिक तथा उदासीन संकर में सबसे पहले लिगेण्ड की संख्या, व लिगेंण्ड का नाम इसके बाद केन्द्रीय धातु आयन फिर ऑक्सीकरण अवस्था लिखते हैं।

6. क्लोरोबेन्ज़ीन को निम्नलिखित में कैसे परिवर्तित करेंगे? (केवल रासायनिक समीकरण लिखिए)
(i) बेन्ज़ीन
(ii) फीनॉल
(iii) टॉलूईन
(iv) ऐनिलीन
(v) डाइफेनिल

उत्तर : (i) क्लोरोबेन्जीन से बेन्जीन - Ni-Al मिश्रधातु एवं सोडियम हाइड्राक्साइड की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त नवजात हाइड्रोजन हैलोएरीन का अपचयन करके, बेन्जीन देता है।

7. एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11.63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन उपस्थित है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, परन्तु सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा धनात्मक आयोडोफार्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर यह एथेनोइक अम्ल व प्रोपेनोइक अम्ल देता है। संभाव्य यौगिक की संरचना लिखिए ।

अतः दिये गये कार्बनिक यौगिक का मूलानुपाती सूत्र C5H10O हैं। जिसका अणुविक द्रव्यमान 86 है। चूँकि यह यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है । परन्तु सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज देता है तथा धनात्मक आयोडोफार्म परीक्षण देता है। इसलिए यह एल्डीहाइड नही हो सकता, अतः यह एक कीटोनिक यौगिक है।

8. एक कार्बनिक यौगिक (A) जिसका आण्विक सूत्र C8H8O है, 2,4-DNP (2,4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजीन ) अभिकर्मक के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है। 'A' सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में आयोडीन के साथ गर्म करने पर एक पीले रंग का
अवक्षेप बनाता है। 'A' टॉलेन अभिकर्मक अथवा फेहलिंग विलयन को अपचयित नहीं करता है और न ही यह ब्रोमीन जल को वर्ण विहीन करता है। यह क्रोमिक अम्ल द्वारा प्रबल ऑक्सीकरण से एक कार्बोक्सिलिक अम्ल 'B' बनाता है, जिसका आण्विक सूत्र C7H6O2 है। यौगिक 'A' तथा 'B' को पहचानिए तथा प्रमुख अभिक्रियाओं को समझाइए ।

9. निम्नलिखित यौगिकों के युगलों में विभेद के लिए एक रासायनिक परीक्षण दीजिए:
(i) द्वितीयक एवं तृतीयक एमीन
(ii) मेथिल एमीन एवं डाइमेथिल एमीन
(iii) एथिल एमीन एवं एनीलीन ।

उत्तर : (i) द्वितीयक एवं तृतीयक एमीन में विभेद करने के लिए हिंसबर्ग परीक्षण किया जाता है। द्वितीयक एमीन हिंसबर्ग अभिकर्मक ( बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड) से अभिक्रिया कर N,N- डाइएल्किल बेन्जीन सल्फोनामाइड बनाता है जो क्षार में अविलेय होता है। जबकि तृतीयक एमीन हिंसबर्ग अभिकर्मक से कोई अभिक्रिया नही करता है।

(ii) मेथिल एमीन एवं डाइमेथिल एमीन में विभेद करने के लिए भी हिंसबर्ग परीक्षण प्रयोग किया जा सकता है। जिसमें मेथिल एमीन हिंसबर्ग अभिकर्मक (बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड) से अभिक्रिया कर N - मेथिल बेन्जीन सल्फोनामाइड बनाता है जो क्षार में विलेय
होता है। जबकि डाइएथिल एमीन हिंसबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया कर N,N–डाइमेथिल बेन्जीन सल्फोनामाइड बनाता है, जो क्षार में अविलेय होता है। जिसका रासायनिक समीकरण निम्न है-


10. कार्बोहाइड्रेट को परिभाषित कीजिए। ग्लूकोज अणु में पाँच- OH समूहों - CHO समूह और > C = 0 समूह के होने की पुष्टि हेतु एक - एक अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। ग्लूकोज और सुक्रोज में अन्तर लिखिए।

उत्तर : कार्बोहाइड्रेट - वे पदार्थ जो जल अपघटन पर पॉली हाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड एवं कीटोन देते हैं। कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं। यह वृहत बहुलक कार्बनिक अणु है जो मनुष्य सहित अनेक जीव- जन्तुओं के ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं। यह ऊर्जा ग्लूकोस या अन्य मोनोसैकराइड्स कार्बोहाड्रेट के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है।

ग्लूकोस की एसिटिक एनहाइड्राइड की क्रिया से ग्लूकोस में पाँच OH- समूह की पुष्टि होती है-


11. निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए रासायनिक समीकरण दीजिए:
(i) प्रोपेन- 1 - ऑल का क्षारीय KMnO4 के साथ ऑक्सीकरण
(ii) फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया
(iii) फीनॉल की तनु HNO3 के साथ अभिक्रिया
(iv) हाइड्रोजन आयोडाइड की मेथाक्सीबेन्जीन से अभिक्रिया
(v) प्रोपेन- 1 ऑल से प्रोपाक्सीप्रोपेन का बनना ।

12. कैसे प्राप्त करेंगे? ( केवल रासायनिक समीकरण लिखिए )
(i) 1 - ब्रोमोप्रोपेन से 2 - ब्रोमोप्रोपेन
(ii) मेथिल आयोडाइड से एथेन
(iii) प्रोपीन से एलिल क्लोराइड
(iv) प्रोपीन से आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड
(v) ब्यूटीन - 1 से 1 - ब्रोमोब्यूटेन

 

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