Bihar Board 10th Hindi Exam 2024 : VVI Important हिन्दी सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Question) उत्तर के साथ - वायरल प्रश्न परीक्षा से पहले रटलो

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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा आयोजित बिहार बोर्ड 10वीं की हिन्दी परीक्षा 15 फरवरी, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।
इस पोस्ट में बिहार बोर्ड 10th परीक्षा 2024 के लिए हिन्दी के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव (Bihar Board 10th Hindi Important Subjective Question 2024) प्रश्न दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
छात्रों को इन (Bihar Board 10 Viral Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।
अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे हिन्दी के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I
ये भी पढ़ें - Bihar Board 10th 2024 VVI Important हिन्दी Top 100 ऑब्जेक्टिव प्रश्न (Objective Question) उत्तर के साथ; रटलो 15 फरवरी के लिए
Bihar Board 10th Hindi Viral Question 2024
1. जातिप्रथा भारत मे बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसी बनी हुई है ?
उत्तर : हम वास्तविक रूप से कह सकते है कि जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण माना जाता है चूँकि मानव का जिस जाति में जन्म होता है वह अपने माता-पिता के पेशे के अनुसार ही जीवन भर के लिए उसी पेशे में बँध जाता है। वह मन पसन्द कार्य करना चाहता है परंतु नही कर पाता है जिससे अपने समाज और देश का विकास नही कर पाता । हिन्दु धर्म में जाति प्रथा के तहत पेशा बदलने की अनुमति नही दी जाती है।
2. आपकी दृष्टि मे बिष के दाँत शीर्षक कहानी का नायक कौन है ?
उत्तर : हम लोगो की नजर में कहानी का नायक मदन है । चुकि लेखक का कहना है कि जो बुराई का अंत करता है । उसे ही नायक माना जाता है। एक दिन की बात है जब मदन कुछ अबारागर्द छोकरो के साथ लट्टू नचा रहा था । उसी दौरान खोखा आकर कहता है की लट्टू हम भी खेलेंगे। जब उसे मदन के द्वारा मना कर दिया जाता है तो दो चार घुसा खोखा को जमा देता है । उसके बाद मदन ने भी कासू के दो द तोड़ डाले । मदन एक ईमानदार और स्वाभीमानी बालक था । अत: कहानी का नायक मदन ही होना चाहिए ।
3. लेखक मैक्समूलर के दृष्टि से सचे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते है और क्यों ?
उत्तर : लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन भारत के गाँवों में हो सकते हैं। क्योंकि भारतीय ग्रामीण संस्कृति में सच्चा भारत निहित है। भारतीय ग्रामीण लोगों में सच्चाई, प्रेम, करूणा, सहयोग की भावना कूट-कूट कर भरा होता है । जबकी शहरों में ऐसा नही होता है, गाँवों के अपेक्षा शहर ज्यादा प्रदूषित होते है । और शहरों में लोग सिर्फ अपने से मतलब रखते है, शहरी लोगों में सहयोग की भावना नही ह है। अतः लेखक का कहना बिलकुल उचित है।
4. शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते है ?
उत्तर : गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का अभिप्राय यह है कि बच्चे और मनुष्य के शरीर, बुद्धि और आत्मा के सभी उत्तम गुणों को प्रकट किया जाय । पढ़नालिखना तो शिक्षा का अन्त नहीं है वह आदि भी नहीं है । इसलिए गाँधी जी कहते है की बच्चेको कोई उपयोगी दस्तकारी सिखाई जाए और जिस क्षण से वह अपनी तालिम शुरू करे उसी क्षण उसे उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए ।
5. शानदार लबादा किसका गिर आएगा और क्यों? मेरे बिना तुम प्रभु शीर्षक कविता के आधार पर उत्तर दे |
उत्तर : कवि के अनुसार भगवत महिमा भक्त की आस्था में निहित होता है भक्त भगवान का दृढ़ आधार होता है लेकिन जब भक्तरूपी आधार नहीं होगा । तो भगवान की पहचान भी मिट जाएगी। भगवान का लबादा अथवा नाम पहचान सब, गिर जाएगा।
6. कवि जीवानंद दास अगले जन्म मे अपने मनुष्य होने मे क्यों संदेह करता है ? इसका क्या कारण हो सकता है ?
उत्तर : भारतीय समाज में यह मान्यता है कि जीवों की चौरासी लाख योनिया हैं, और मनुष्य योनि अच्छे कर्मों के बाद केवल एक बार ही मिलती हैं । इसलिए कवि अगले जन्म में मनुष्य होने में संदेह करता है ।
7. बेटे के आँसू कब आते है और क्यो ? अक्षर ज्ञान शीर्षक कविता के आधार पर उत्तर दे।
उत्तर : सीखने के क्रम में बार-बार प्रयास करने पर भी जब बालक विफल हो जाता है, तब पहली विफलता पर आँसू आ जाते हैं। क्योंकि कठिनतम प्रयास के बाद विफल होना कष्टदायी स्थिति उत्पन्न करता है।
8. भारतमाता शीर्षक कविता मे कवि भारतवासियों का कैसा चित्र खींचता है ?
उत्तर : प्रथम अनुच्छेद मे कवि ने भारतमाता के रूपों का सजीवात्मक रूप पर्दर्शित किया है और कहा है, की गाँवों मे बसनेवाली भारतमाता आज धूल-धूसरित, शस्य- श्यामला न रहकर उदासीन बन गई है। आज भारत माता का आँचल मैला हो गया है। गंगा-यमुना के जल प्रदूषित हो गये हैं । आज भारत माता मिट्टी की एक उदासीन प्रतिमा के जैसी हो गयी है।
9. लक्ष्मी कौन थी ? उसकी पारिवारिक परिस्थिति का चित्र प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर : लक्ष्मी ‘ढहते विश्वास' कहानी की प्रमुख पात्र है। उसका पति लक्ष्मण कलकत्ता में नौकरी करता है । पति द्वारा प्राप्त राशि से उसका घर-परिवार नहीं चलता है, तो वह तहसीलदार साहब के घर पर छोटे-मोटे काम करके किसी तरह जीवन-यापन कर लेती है। लक्ष्मी के पास एक छोटा सा झोपड़ीनुमा घर है जो बाँस एवं पुयाल से बना हुआ है। लक्ष्मी के 4 संतान थे। जिसमे दो बेटे एवं दो बेटियाँ थी। लक्ष्मी के पूर्वजों के द्वारा छोड़ा गया एक बीघा खेत है । किसी तरह लक्ष्मी ने उसमें खेती करवायी है। वर्षा नहीं होने से अंकुर जल गये तो कहीं-कहीं धान सूख गये ।
10. मंगम्मा की अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?
उत्तर : एक दिन बहू ने किसी बात पर पोते की पीट दिया। इस पर मंगम्मा ने कहा क्यों री राक्षसी, इस छोटे से बच्चे को क्यों पीट रही है । इस पर बहू ने मंगम्मा को खरी-खोटी सुना दिया। इस बात को लेकर मंगम्मा का बहू के साथ विवाद हो गया ।
11. देवनागरी लिपी मे कौन-कौन सी भाषाए लिखी जाती है ?
उत्तर : देवनागरी लिपी में हिन्दी, संस्कृत, नेपाली, नेवारी, मराठी, मैथली, मगही, एवं भोजपुरी भाषाएं लिखी जाती है । जो भारत के सम्पुर्ण क्षेत्रों मे यह लिपी फैला हुआ है।
12. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यो होता है ?
उत्तर : बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा होता है क्योंकि बहादुर घर के सभी कार्य को कुशलतापूर्वक करता था । घर के सभी सदस्य को आराम मिलता था । किसी भी कार्य हेतु हर सदस्य बहादुर को पुकारते रहते थे । वह घर के कार्य से सभी को मुक्त रखता था। साथ रहते-रहते सबसे हिलमिल गया था । डाट - फटाकर के बावजूद काम करते रहता था । यही सब कारणों से उसके चले जाने पर सबको पछतावा होता है।
13. राजनितिक मूल्यो से साहित्य के मूल्य अधिक स्थाई कैसे होते है? परंपरा का मूल्याकन पाठ के अनुसार लिखे।
उत्तर : लेखक कहते हैं कि साहित्य के मूल्य राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी हैं। इसी पुष्टि में अंग्रेज कवि टेनिसन द्वारा लैटिन कवि वर्जिल पर रचित उस कविता की चर्चा करते हैं, जिसमें कहा गया है कि रोमन साम्राज्य का वैभव समाप्त हो गया । पर वर्जिल के काव्य सागर की ध्वनि तरंगें हमें आज भी सुनाई देती हैं और हृदय को आनन्द - विह्ल कर देती है। हम कह सकते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद जब उसका उसका नाम लेने वाला नहीं रह जाएगा तब भी शेक्यपियर, मिल्टन और शैली विश्व संस्कृति के आकाश में पूर्व की भाँति जगमगाते नजर आएंगे और उनका प्रकाश पहले की उपेक्षा करोड़ों नई आँखें देखेंगी । इस प्रकार राजनीतिक मूल्य कालान्तर में नष्ट हो जाते हैं। पर साहित्य के मूल्य अधिक स्था होते हैं ।
14. अपने विवाह के बारे मे बिरजू महाराज क्या बताते है ?
उत्तर : बिरजू महाराज की शादी 18 साल की उम्र में हुई थी। उस समय विवाह करना महाराज अपनी सबसे बड़ी गलती मानते हैं । लेकिन बाबूजी की मृत्यु के बाद माँ ने घबराकर जल्दी में शादी कर दी। शादी को अपने जीवन में नुकसानदेह मानते हैं। विवाह की वजह से ही महाराज जी नौकरी करते रहे ।
15. कवि गुरूनानक किसके बिना जगत मे यह जन्म व्यर्थ मानते है ?
उत्तर : कवि गुरूनानक राम-नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है । राम - नाम के बिना व्यतीत होने वाला जीवन केवल बिष का भोग करता है ।
16. कवि रसखान कृष्ण को चोर क्यो कहे है ?
उत्तर : कवि कृष्ण और राधा के प्रेम में मनमुग्ध हो गये हैं । उनके मनमोहक छवि को देखकर मन पूर्णतः उस युगल में रम जाता है। इन्हें लगता है कि इस देह से मन रूपी मणि को कृष्ण ने चुरा लिया हैं । चित्त राधाकृष्ण के युगल जोड़ी मे लग चुका है। अब लगता है कि यह शरीर मन एवं चित्त रहित हो गया है। इसलिए चित्त हरने वाले कृष्ण को चोर कहा गया है। उनकी मोहनी मूरत मन को इस प्रकार चुराती है, कि कवि अपनी सुध खो बैठते हैं ।
17. प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर : हिरोशिमा में जब बम का प्रहार हुआ तो प्रचण्ड गोलों से तेज प्रकाश निकला और वह चारो तरफ फैल गया। इस अप्रत्याशित प्रहार से हिरोशिमा के लोग हतप्रभ रहे गये। उन्हें सोचने का अवसर नहीं मिला। उन्हें ऐसा लगा कि धीरेधीरे आनेवाला दोपहर आज एक क्षण में ही उपस्थित हो गया । बम से प्रज्वलित अग्नि एक क्षण के लिए दोपहर का दृश्य प्रस्तुत कर दिया । जिसे कवी के द्वारा प्रज्वलित क्षण की दोपहरी कहा गया है।
18. कवि रेनर मारिया रिल्के किसको कैसा सुख देते है ?
उत्तर : कवि कहते है की भक्त भगवान की कृपादृष्टि की शय्या है । कवि कहते है, कि नरम कपोलों पर जब भगवान की कृपादृष्टि विश्राम लेती है, तब भगवान को सुख मिलता है, आनंद मिलता है । अर्थात् भक्त भगवान का कृपापात्र होता है और भक्तरूपी पात्र से भगवान भी सुखी होते हैं ।
19. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ?
उत्तर : हिन्दी साहित्य के महान नकेलवादी लेखक नलिन विलोचन शर्मा का कहना है, कि मदन और कासू के बीच झगडे का मूल कारण लट्टू का खेल को माना जाता है। क्योंकि मदन को जब ड्राइवर के द्वारा गाड़ी नहीं छुने दिया गया तथा उसे धकेल दिया गया। इस बात को लेकर मदन ने भी कासू को लट्टू खेलाने से इंकार कर दिया जिससे कासू और मदन के बीच झगड़ा होने लगा ।
20. नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके सम्पर्क में आए ?
उत्तर : नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज निर्मला जी के स्कूल दिल्ली में हिन्दुस्तानी डांस म्यूजिक से जुड़े। वहाँ वे कपिला जी, लीला कृपलानी आदि के संपर्क में आये ।
21. गाँधी जी बढ़िया शिक्षा किसे कहते है ?
उत्तर : गाँधी जी के अनुसार अहिसंक प्रतिरोध सबसे उत्तम और बढ़िया शिक्षा है। वह बच्चों को मिलनेवाली साधारण अक्षर ज्ञान के बाद नहीं, पहले होनी चाहिए । शिक्षा का जरूरी अंग यह होना चाहिए कि बालक जीवनको संग्राम में प्रेम से घृणा, सत्य से असत्य को कष्टसहन से हिंसा को आसानी के साथ जीतना सीखें |
22. कवि की दृष्टि मे आज के देवता कौन है और वे कहाँ मिलेंगे ।
उत्तर : कवि की दृष्टि में आप के देवता कठोर परिश्रम करने वाले मजदूर और किसान हैं। वे पत्थर तोड़ते हुए सड़क पर या खेत-खलिहानों में काम करते हुए मिलेंगे। किसान ही भारत के मेरूदंड हैं । जेठ की दुपहरी हो गया ठंडा के सर्दी या फिर मुसलाधार वर्षा सभी में आज के देवता बिना थके हुए खेत-खलिहानों में डटे हुए मिलते हैं ।
23. गाँधीजी किस तरह के सामजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते है, क्यो ?
उत्तर : गाँधीजी भित्रभित्र संस्कृतियों के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं, क्योंकि भित्र भित्र संस्कृतियों का सामंजस्य भारतीय जीवन को प्रभावित किया है, और स्वयं भी भारतीय जीवन से प्रभावित हुई है। लेकिन गाँधी जी कहते है, की सामंजस्य कुदरती तौर पर स्वदेशी ढ़ंग का होगा । जिसमें प्रत्येक संस्कृति के लिए अपना उचित स्थान सुरक्षित होगा ।
24. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है ?
उत्तर : आज भी हिरोशिमा में साक्षी के रूप में अर्थात् प्रमाण के रूप में जहाँतहाँ - जले हुए पत्थर, दीवारें पड़ी हुई हैं । यहाँ तक कि पत्थरों पर, टूटीफूटी सडकों पर, घर की दीवारों पर लाश के निशान, छाया के रूप में साक्षी हैं ।
25. शिक्षा का ध्येय गाँधी जी क्या मानते थे और क्यों ?
उत्तर : गाँधी जी शिक्षा का ध्येय चरित्रनिर्माण को मानते थे । उनके विचार - माध्यम से मनुष्य में साहस से शिक्षा के, बल, सदाचार जैसे गुणों का विकास होना चाहिए, क्योंकि चरित्रनिमार्ण होने से सामाजिक उत्थान स्वयं होगा । साहसी और सदाचारी व्यक्ति के हाथों में समाज के संगठनका काम आसानी से सौंपा जा सकता है ।
26. कवि वीरेन डंगवाल किन अत्यचारियों का जीक्र करते है, और क्यों ?
उत्तर : कवि यहाँ उन अत्याचारियों का जिक्र करता है जो हमारी सुविधाभोगी, आराम पसंद जीवन से लाभ उठाते हैं। समाज का एक वर्ग जो ऐशो अपने में जिंदगी की आराम- आपको ढाल लेता है, उसी का लाभ अत्याचारी उठाते हैं। और इस अवस्था में अत्याचारी अत्याचार करने के बाह्य और आंतरिक सभी साधन जुटा लेते हैं ।
27. घर शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है, और क्यों ?
उत्तर : घर, शहर और देश के बाद, कवि नदियों, हवा, भोजन, जंगल एवं मनुष्य को बचाने की बात करता है क्योंकि नदियाँ, हवा, अन्न, फल, फूल जीवनदायक हैं। इनकी रक्षा नहीं होगी तो मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा नहीं हो सकती है। अतः नदियों, हवा, भोजन, जंगल एवं मनुष्य को बचाना बहुत ही जरूरी है।
28. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यो पड़ी हुई है ?
उत्तर : मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा की धरती पर सब ओर दिशाहीन होकर पड़ी हुई हैं। जहाँ तहाँ घर की दीवारों पर मनुष्य की छायाएँ मिलती हैं। टूटीफूटी सड़कों से लेकर पत्थरों पर सभी दिशाओं में छायाएँ प्राप्त होती हैं। क्योंकि आण्विक शक्ति से निकले हुए प्रकाश सम्पूर्ण दिशाओं में पड़ता है । उसका कोई निश्चित दिशा नहीं है । बम के प्रहार से मरने वालों की क्षततहाँ पड़ी हुई हैं। -विक्षत लाशें विभिन्न दिशाओं में जहाँ- स्वरूप हैं परन्तु-ये लाशें छायाछोटेछोटे टुकड़े- फैली होने के कारण दिशाहीन छाया कही गयी है।
29. दही वाली मगम्मा में बहु ने सास को मनाने के लिए कौन सा तरीका अपनाया ?
उत्तर : बहू ने मंगम्मा को मनाने के लिए एक षड्यंत्र रचा, जिसके तहत उसने अपने बेटे को मंगम्मा के पास भेज दिया। बेटा दादी पास के (मंगम्मा) और आए बेटा और बहू की मंगम्मा दिन एक फिर लगा । रहने करके जिद-कहा—उस दिन हमसे गलती हो गई । यह कहकर मांफी मांग कर मना लिया ।
30. देवनागरी लिपी के अक्षरो मे स्थिरता कैसे आई ?
उत्तर : करीब दो सदी पहले पहली बार इस लिपि के टाइप बने और इसमें पुस्तकें छपने लगीं, इसलिए इसके अक्षरों में स्थिरता आ गई है।
31. मनुष्य बार-बार नाखुन क्यो काटता है ?
उत्तर : मनुष्य निरंतर सभ्य होने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एकसमान थे। नाखून अस्त्र थे । लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास तेज होती गई मनुष्य पशु से भित्र होता गया । उसके अस्त्र-शस्त्र, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी। वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया । जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। इसमें नयापन लाने, इसे संवारने एवं पशु से भित्र दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट देता है।
32. लेखक को क्यो लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था ?
उत्तर : लेखक महोदय के सभी भाई और रिश्तेदार ऊंचे पद पर थे। इसलिए उनलोगों के पास नौकर-चाकर था । जब उनकी बहन के विवाह में सभी रिश्तेदारों का मिलन हुआ तो लेखक महोदय की पत्नी नौकर को देखकर ईष्यालु हो गई। इसके बाद से घर में नौकर रखने के लिए परेशान करने लगी । उसके बाद लेखक महोदय को लगा की नौकर रखना अब बहुत जरूरी हो गया है।
33. बिरजू महाराज के जीवन मे सबसे दुःखद समय कब आया ?
उत्तर : जब महाराज जी के बाबूजी की मृत्यु हुई तब महाराज जी के जीवन का सबसे दुःखद समय हुआ । घर में इतना भी पैसा नहीं था कि दसवाँ किया जा सके। इन्होंने दस दिन के अन्दर दो प्रोग्राम किए। उन दो प्रोग्रामों से 500 रूपये इकट्ठा हुए तब दसवाँ और तेरह की और साथ ही साथ बिरजू महाराज काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे की कहीं उन्हें 50 रूपये का भी काम मिल जाये तो अच्छा रहेगा । तो यह समय पंडित बिरजू महाराज के लिए उनके जीवन का सबसे दुखदाई समय था ।
34. कवि जीवनानंद दास अगले जीवन मे क्या बनने की संभावना व्यक्त करते है, और क्यो ?
उत्तर : कवि को अपनी मातृभूमि प्रेम में विह्वल अर्थात् अशांत होकर चिड़ियाँ, कौवा, हंस, उल्लु, सारस बनकर पुनः बंगाल की धरती पर अवतरित होना चाहते हैं ।
35. सीता की स्थिती बच्चो के किस खेल से मिलती जुलती थी ?
उत्तर : सीता की स्थिति बच्चों के 'माई माई रोटी दे' वाली खेल से मिलती जुलती है। बारी से दूसरों के पास जाकर एक ही बात करता - बच्चों में से एक जना भिखारिन बनकर बारी- है 'माईमाई रोटी दे -'......। उसे उत्तर मिलता यह घर छोड़, दूसरे घर जा । ....... सीता सोचती हैं - बिल्कुल यही स्थिति है मेरी । मैं भी इस भिखारिन जैसी हूँ । महीना होते ही बेटा कह देता है, 'माई यह घर छोड़, दूसरे घर जा ।' और मैं रवाना हो जाती हूँआगे ......... वाले घर के लिए। वहाँ भी महीना पूरा होते ही वही आदेश सुनायी देता है' यह घर छोड़, दूसरे घर जा ।'
36. भीमराव अम्बेदकर किस विडम्बना की बात करते है ?
उत्तर : लेखक जिस विडंबना की बात करतें है, वो है, जातिवाद का पोषक । भारत में कई ऐसे गाँव है जहाँ के लोग शिक्षित होकर भी जात पात, छुआ - छुत की भावना रखते है । विडंबना का स्वरूप कार्य, कुशलता के आधार पर श्रम विभाजन होना चाहिए न कि जाति के आधार पर । चुकि श्रम विभाजन जाति प्रथा का दुसरा रूप है।
37. धर्मो की दुष्टि से भारत का महत्व है ?
उत्तर : भारत प्राचीन काल से ही धार्मिक विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमान रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिलता है । भारत वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह शरण-स्थली है। आज भी यहाँ नृत्य के नये मत मतान्तर प्रकट एवं विकसित होते रहते हैं । इस तरह से भारत धार्मिक क्षेत्र में भी विश्व को आलोकित करनेवाला एक महत्वपूर्ण देश है।
38. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था ?
उत्तर : रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का ही आवारा और जुआरी था । वह मंगम्मा का ही उम्र का था और शौकीन तबियत का था । वह मंगम्मा से उधार पैसे चाहता था ।
39. माँ मंगु को अस्पताल मे क्यो नही भर्ती कराना चाहती थी ?
उत्तर : माँ को ममता का समुद्र कहा जाता है । अतः माँ की ममता मंगु के लिए बाकी परिवार के अन्य सदस्यों से अलग एवं ज्यादा थी। माँ अस्पताल को गाय के गौशाला के जैसा समझती थी। माँ समझती थी कि अस्पताल में कौन उसकी ठीक प्रकार से देखभाल करेगा ? कौन उसे भोजन कराएगा ? कौन उसे अपने साथ सुलाएगा ? कौन उसके पेशाब से भींगे बिस्तर को बदलेगा ? पागलखाने में तो एक से एक पागल होते हैं ? इनसे रक्षा कौन कर सकेगा ? इन्हीं कारणों से माँ मंगु को अस्पताल में भर्ती कराना नही चाहती थी ।
40. अक्षर ज्ञान कविता मे 'क' का विविरण स्पष्ट करे ।
उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवयित्री छोटे बालक द्वारा प्रारम्भिक अक्षर बोध को साकार रूप में चित्रित करते हुए कहती हैं कि 'क' को लिखने में अभ्यास - पुस्तिका का चौखट छोटा पड़ जाता है। कर्मपथ भी इसी प्रकार प्रारंभ में फिसलन भरा होता है ।
41. कवि को वृक्ष बूढ़ा चैकीदार क्यो लगता है ?
उत्तर : कवि एक वृक्ष के बहाने प्राचीन सभ्यता, संस्कति एवं पर्यावरण की रक्षा की चर्चा की है। वृक्ष मनुष्यता, पर्यावरण एवं सभ्यता की प्रहरी है । यह प्राचीनकाल से मानव के लिए वरदानस्वरूप है, इसका पोषक है, रक्षक है । इन्हीं बातों का चिंतन करते हुए कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार लगता था ।
42. लेखक ने नया सिंकदर किसे कहा है ? ऐसा कहना क्या उचित है ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करे ।
उत्तर : लेखक ने नया सिकंदर भारत आनेवाले नवागंतुक, अन्वेषकों, पर्यटकों एवं अधिकारियों को कहा है । और ऐसा कहना बिल्कुल उचित है क्योंकि लेखक कहते है की यदि आपलोग चाहें तो भारत के बारे में वैसे ही सुनहरे सपने देख सकते है और भारत पहुँचने के बाद एक से बढ़कर एक शानदार काम भी कर सकते है जैसे सर विलियम जोन्स ने कोलकत्ता पहुँचने के बाद इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक शानदार काम किये, उसी प्रकार आज भी भारतीयता को निकट से जानने नवीन स्वप्रदशी को आज का सिकंदर कहना अतिशयोक्ति नहीं है, यह उचित है ।
43. मानव का रचा सूरज मानव को भाप बनाकर सोख गया । व्याख्या करे ।
उत्तर : व्याख्या :- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ्य के काव्यखंड के हिरोशिमा शीर्षक से लिया गया है। जिसके लेखक सच्चिदानंद जी है । लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते हैं ! कि मानव जिस बमों को अपना आदर्श मानता था । वह सूर्य रूपी बम मानव का विनाश बनकर मानव को ही मोम की तरह पिघला दिया। मानव के द्वारा बनाया गया बम मानव को ही भाप में बदलकर मिटा दिया ।
44. सीता अपने ही घर मे क्यों घुटन महसूस कर रही थी ?
उत्तर : सीता के पति के मरते ही घर की स्थिति दयनीय हो गई । भाइयों में आपसी भेद उत्पन्न हो गये । वे केवल अपनी पत्नी और संतान में ही सिमट गये हैं। माँ की देख-रेख एवं भरण-पोषण के लिए तीनों भाइयों ने एक-एक महीने का भांज बाँध लिया । सीता किसी भी बेटे के साथ रहती है तो अन्तर्मन से दुःखी ही रहती है । बहुओं की कड़वी बातें उसे चुभती रहती है । अपनी ही संतान से आज वह विक्षुप्त हो गई है। अपने मन की व्यथा किसी से वह कह नहीं सकती है। यहीं कारण है कि अपने ही घर में उसे घूटन महसूस होती है।
45. कवि अपने आसुओ को कहाँ पहुँचाना चाहते हैं ?
उत्तर : कवि अपने आँसुओं को अपने प्रेमिका सुजान के आँगन तक पहुँचाना चाहता है क्योंकि सुजान ही कवि के पीड़ा का अनुभव कर सकते हैं, कोई और नहीं। इसीलिए कवि की आकांक्षा है कि मेरी पीड़ा सुजान के आंगन तक पहुँचाकर परोपकारी मेघ मेरी पीड़ा को कम करने में मदद देगा ।
46. हरिरस से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : कवि राम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि भगवान के नाम 'बढ़कर अन्य कोई धर्म साधना नहीं है । भगवत कीर्तन से प्राप्त परमानंद को हरि रस कहा गया है। भगवान के नाम कीर्तन, नाम स्मरण में डूब जाना, हरि कीर्तन मे रम जाना और कीर्तन में उत्साह, परमांनद की अनुभूति करना ही हरि रस है । इसी रस पान से जीव धन्य हो सकता है ।
47. खोखा किन मामलो मे अपवाद था ?
उत्तर : इस कहानी के सुप्रसिध्द लेखक नलिन विलोचन शर्मा का मानना है, कि खोखा द्रुललित स्वभाव के मामलो में अपवाद था। वह बात बात में अपने बहनो को तथा अहाते के अंदर रहने वाले छोटे-2 बच्चो को अपने रौव में रखना पसन्द करता था जो सचमुच प्रकृतिक नियमो का अपवाद था।
48. भारत माता अपने ही घर मे प्रवासिनी क्यो बनी हुई है ?
उत्तर : भारत को अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीर मे जकड़ रखा था । यहाँ की जनता का कोई अधिकार नहीं था । अपने घर मे रहकर पराये आदेश को मानना विवशता थी। परंतंत्रता की बेड़ी में जकड़ी भारत माता चुपचाप अपने पुत्रों पर किये गये अत्याचार को देख रही थी । भारत माँ के पुत्र स्वतंत्र विचरण नहीं कर सकते थे। इसलिए कवि ने परंत्रता को दर्शाते हुए मुखरित किया है, कि भारतमाता अपने ही घर मे प्रवासिनी बनी है।
49. परहित के लिए देह धारण कौन करता है ?
उत्तर : परहित के लिए ही देह मेघ धारण करता है । मेघ परोपकारी होता है। घूम घूमकर लोक हित के लिए बरसता है । इसलिए मेघ का एक नाम - भी है "परजन्य"
50. वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
उत्तर : जब वाणी वाह्य आडबंर से सम्पत्र होकर राम नाम को त्याग देती है तब वह नाम - विष के सामान हो जाती है। राम के अतिरिक्त उच्चरित ध्वनि कामक्रोध, मद सेवन आदि से परिपूर्ण होती है।
51. परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे अधिक आवश्यक है, और क्यों ?
उत्तर : जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं, क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परंपरा का ज्ञान आवश्यक है। क्योंकि साहित्य की परंपरा से प्रगतिशील आलोचना का ज्ञान होता है जिससे साहित्य की धारा को मोड़कर नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है।
52. नेताओ के बारे मे प्रेमद्यन की क्या राय है ?
उत्तर : आज देश के नेता, देश के मार्गदर्शक भी स्वदेशी वेश-भूषा, बोल-चाल से परहेज करने लगे हैं। अपने देश की सभ्यता-संस्कृति को बढ़ावा देने के बजाय पाश्चात्य सभ्यता से स्वयं प्रभावित दिखते हैं। कवि कहते हैं कि जिनसे धोती नहीं सँभलती अर्थात् अपने देश के वेश-भूषा को धारण करने में संकोच करते हों वे देश की व्यवस्था देखने में कितना सक्षम होंगे यह संदेह का विषय हो जाता है। जिस नेता में स्वदेशी भावना रची-बसी नहीं है, अपने देश की मिट्टी से दूर होते जा रहे हैं, उनसे देशसेवा की अपेक्षा कैसे की जा सकती है ? ऐसे नेताओं से देशहित की अपेक्षा करना ख्याली पुलाव है।
53. राम नाम बिनु निरथे जगि जनमा पद का मुख्य भाव क्या है ?
उत्तर : इस पद में गुरु नानक कहते हैं कि राम-नाम के जाप के बिना जगत में जन्म व्यर्थ है। कठोर बातें करना, अखाद्य खाना और ईश्वर का नाम न लेना, इस जगत् में व्यर्थ जीवन व्यतीत करना है। पुस्तकें पढ़ना, व्याकरण का ज्ञान सब उलझ – उलझ कर मरना है। यदि गुरु ने ज्ञान नहीं दिया, डंड-कमंडल, शिखा, जनेऊ और तीर्थ-यात्राएँ किसी काम की नहीं । राम-नाम के बिना शांति नहीं मिलती। जटा बढ़ाना, नंगे रहना, भभूत रमाना और धरती पर जीना कोई जीना नहीं हैं। गुरु प्रसाद से ही मुक्ति मिलती है। इस ‘हरिरस’ को नानक ने घोल कर पी लिया है।
54. लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है ?
उत्तर : लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार मनुष्य मरणास्त्रों के संचयन से, बाह्य उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु को पा लेना सफलता है, जबकि चरितार्थ लेखक के अनुसार मनुष्य के प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को सबके मंगल के लिए नि:शेष भाव से दे देने में है।
55. लेखक के अनुसार आदर्श समाज मे किस प्रकार की गतिशीलता होनी चाहिए।
उत्तर : किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भागी होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए ।
56. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यो मानते थे ?
उत्तर : बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को मानते थे । जब भी वे नाच देखती थी तो बिरजू जी पूछते थे कि गलत तो नहीं कर रहा हूँ उनका पूछने का मतलब था कि बाबूजी वाला ढंग है न; कहीं गड़बड़ तो नहीं हो रही। माँ कहती थी कि नहीं बेटा। उन्हीं की तुम तस्वीर हो बैठने, उठने, बोलने, नृत्य करने का सारा कुछ पिता का ही है। इस प्रकार बिरजू महाराज की माँ जज के रूप में निर्णय देकर बेटे को प्रोत्साहित करती थी ।
57. संतू मछली लेकर क्यो भागा ?
उत्तर : संतू मछली लेकर भागा क्योंकि वह नहीं चाहता था मछलियाँ काटी जाएँ। भग्गू उन्हें पटक-पटक कर मार देता और फिर काटता । संतू इसलिए एक मछली गमछे में लपेटकर भाग गया। संतू मछली को बचाना चाहता था।
58. हमारी नींद कविता किस प्रकार के जीवन का चित्रण करती है ?
उत्तर : हमारी नींद कविता सुविधाभोगी, आरामपसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जाने वाले जीवन का चित्रण करती है।
59. बड़े डाक्टर पारपाति के बारे मे पूछताछ क्यो कर रहे थे ?
उत्तर : पाप्पाति बल्लि अम्माल की बेटी है। जो तमिलनाडु के गाँव से मदुरै शहर अस्पताल में लाई गई है। पाप्पाति बहुत ही भयंकर रोग ‘मेनेनजाइटिस’ से पीड़ित है । माँ बहुत ही सीधी-साधी गाँव की महिला है। बड़े डॉक्टर अपने छात्रों के साथ पाप्पाति से बेटी की बीमारी के बारे में पूछ-ताछ कर रहे थे ताकि अपने छात्रों को बीमारी के बारे में पढ़ा सकें।
60. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहते है ? इस कहानी का नायक कौन है ?
उत्तर- काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण मंदन के मन का द्वेष और काशू द्वारा मदन पर हाथ चलाना था। मदन गली में अपने साथियों के साथ लट्टू खेल रहा था। काशू भी वहाँ पहुँचा और खेलना चाहा, किन्तु मदन ने उसे खेलने से मना किया, इस पर काशू ने घूँसा चला दिया। मदन भी उस पर टूट पड़ा । लेखक इस प्रसंग में दिखाना चाहता है कि अदब और रोआब की परवाह बड़ों को होती है। बच्चे तो बच्चे हैं, उन्हें भला फिक्र किस बात की। सो, काशू की हरकत पर उसका सही जवाब दे दिया। परिणाम चाहे जो भी हो। हमारी दृष्टि में 'विष के दाँत' शीर्षक कहानी का नायक मदन है।
61. लेखक क्यो पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है ? पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर ? स्पष्ट करें।
उत्तर : लेखक का मानना है कि नाखून बढ़ना मनुष्य की पशुता की निशानी है और नाखून काटना मनुष्यता की। किन्तु उसे आश्चर्य है कि जब मनुष्य की रक्षा के लिए मनुष्य नाखून काटता है तब इतना मारक अस्त्र का निर्माण वह क्यों करता है ? अस्त्र-शस्त्र भी तो नाखून की तरह पशुता की ही निशानी हैं। इसलिए, लेखक का प्रश्न उचित है। इसलिए, लेखक मारणास्त्रों के बढ़ते प्रयोग को देखकर यह प्रश्न पूछता है।
62. मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं' से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : मन लेहु पै देहु छटाँक नही से कवि का अभिप्राय है कि प्रेमी सच्चे दिल से अपना तन-मन प्रेमिका का प्रेम में पाने के लिए अर्पित कर देता है , किंतु प्रेमिका और प्रेम के प्रति कोई प्रतिक्रिया व्यक्ति नहीं करती है। अतः वह अपनी मुस्कुराहट से प्रेमी के व्यथित हृदय को शांति प्रदान नहीं करती है। तात्पर्य यह की प्रेमिका अति निष्ठुर या कठोर दिल है । वह प्रेमी की पीड़ा पर जरा भी ध्यान नहीं देती है। तात्पर्य यह की भक्ति में सहज प्रेम की अभिव्यक्ति होती है, जब ज्ञान में दंभ का प्रभाव होता है जिस कारण ज्ञान प्रेम रस की मधुराई का रस लेता तो है किंतु ज्ञानांधतावश प्रेम की पीड़ा आहत नहीं होती । निष्कर्ष कवि ने वियोग में सच्चा प्रेमी जो वेदना सहता है , उसके चित में विभिन्न प्रकार की तरंगे उठती है , उसी का उसने मार्मिक चित्रण किया है।
63. पाप्पाति कौन थी ? वह शहर क्यो लाई गई थी ?
उत्तर : पाप्पाति वल्लि अम्माल की पुत्री थी और गाँव के प्राइमरी हेल्थ सेन्टर के डॉक्टर के कथनानुसार मदुरै शहर के बड़े अस्पताल में चिकित्सा के लिए लायी गयी थी।
64. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक किन विशेषताओ को आवश्यक माना है ?
उतर : सच्चे लोकतंत्र कि स्थापना के लिए लेखक अनेक विशेषताओं को आवश्यक माना है। बहू विध हितो में सब का भाग समान होना चाहिए सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग होनी चाहिए तात्पर्य है कि हमें समाज में दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे की भावना होनी चाहिए हमें साथियों के प्रति श्रद्धा और सम्मान होनी चाहिए |
65. नेताओ के बारे मे कवि की क्या राय है ?
उत्तर : नेताओं के बारे में कवि प्रेमघम (बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन) की राय है कि इनसे देश के विकास के बारे में सोचना व्यर्थ है। यह स्वयं अपने को नहीं सँभाल पाते तो भला देश को कैसे सँभाल पाएंगे।
66. लेखक द्वारा नाखूनो को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ?
उत्तर : कुछ लाख वर्षों पहले मनुष्य जब जंगली थो, उसे नाखून की जरूरत थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन हेतु नख की महत्ता अधिक थी। उन दिनों प्रतिद्वंदियों को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक था । असल में वही उसके अस्त्र थे। उस समय उसके पास लोहे या कारतूस वाले अस्त्र नहीं थे, इसलिए नाखून को अस्त्र कहा जाना उपयुक्त है, तर्कसंगत है।
67. कवि किसके बिना जगत मे यह जन्म व्यर्थ मानता है ?
उत्तर : कवि राम नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है।
68. लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा ?
उत्तर : कहानीकार द्वारा कहानी का शीर्षक रखने कारण अनेक हैं। पहला तो यह कि कहानी की मुख्य घटना नगर में ही घटती है। दूसरी बात यह है कि कहानी का मूल उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कर्त्तव्यहीनता, लापरवाही, भ्रष्टाचार और आम जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता दिखाना है और इसके लिए नगर स्थित कोई सरकारी बड़ा संस्थान ही हो सकता है। तीसरी बात यह है कि शास्त्रीय दृष्टि से शीर्षक अत्यंत छोटा और आकर्षक होना चाहिए। इस दृष्टि से भी ‘नगर’ शीर्षक उपयुक्त है क्योंकि छोटा होने के साथ-साथ यह औत्सुक्यवर्द्धक है क्योंकि ‘नगर’ पढ़ने के साथ ही यह उत्सुकता पैदा होती है कि नगर की कौन-सी घटना, कैसी घटना किससे संबंधित कथा है। इस प्रकार, ‘नगर’ शीर्षक अत्यंत उपयुक्त है।
69. वल्लि अम्माल का चरित्र का चित्रण करे ।
उत्तर : वल्लि अम्माल तमिलनाडु के मुदरे नगर के निकटवर्ती गाँव को सामान्य भारतीय नारी है— विधवा और अनपढ़ । वह अत्यन्त सरल नारी है। शहरी चोंचले नहीं जानती, रंग-ढंग नहीं जानती। वह पाप्पाति की माँ है। माँ अपना सहज दुलार प्यार अपनी बेटी पर लुटाती है यही कारण है कि प्राइमरी सेंटर के डॉक्टर के कहने पर अगली सुबह मुदरे के बड़े अस्पताल में जाती है। वहाँ के डॉक्टरों के हाव-भाव से डर कर पूछती है—’मेरी बेटी पाप्पाति ठीक हो जाएगी?’ उसको भर्ती कराने के लिए, लोगों के कहे अनुसार इधर-उधर बेचैनी से दौड़ती रहती है। उसे अपनी पुत्री की चिन्ता है। अस्पताल में भर्ती होने की आस छोड़ यह गाँव लौटती है। वह अंधविश्वासी है जड़ी-बूटी, झाड़-फूँक में आस्था है उसकी उसे ईश्वर पर विश्वास है। पाण्याति के स्वास्थ्य लाभ के लिए मन्नत मानती है-हाथधर रेजगारी चढ़ाने की। वस्तुतः वल्लि अम्माल एक अनपढ़ सामान्य नारी है, जो सरल हृदय है, अंधविश्वासी, आस्तिक और ममतामयी माँ है।
70. कवि रसखान ने माली- मालिन किसे कहा है और क्यों कहा है ?
उत्तर : कवि रसखान ने माली -मालिन कृष्ण और राधा को कहा है। रसखान ने राधा-कृष्ण के प्रेममय मुगल को प्रेम भरे नेत्रों से देखा है। कवि प्रेम को वाटिका मानता है और उस प्रेमवाटिका के मालीमालिन कृष्ण-राधा हैं। वाटिका की हरियाली माली – मालिन द्वारा ही सम्भव हो पाती है। कवि की प्रेमवाटिका को पुष्पित, पल्लवित, विकसित कृष्ण-राधा के दर्शन ही कर सकते हैं।
71. ‘ढहते विश्वास’ कहानी की लक्ष्मी का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर : लक्ष्मी उड़ीसा की रहनेवाली थी। देवी नदी के बाँध के नीचे उसका घर था। पति लक्ष्मण कोलकाता में कहीं नौकरी करते थे। लक्ष्मी के चार बच्चे थे। लक्ष्मण की कमाई से भरण-पोषण नहीं होता था सो लक्ष्मी तहसीलदार साहब के यहाँ छिटपुट काम कर कुछ पैसे पा लेती थी। पुरखों की छोड़ी एक बीघा खेती थी और जमीन का एक टुकड़ा। बाढ़ और सूखे की चपेट में रहने के कारण यह सब काम न आता था। लक्ष्मी की गृहस्थी बड़ी मुश्किल से चलती थी।
72. शिक्षा का ध्येय गाँधी जी क्या मानते है’ और क्यों ?
उत्तर : गांधी जी शिक्षा का ध्येय व्यवहारिक शिक्षा को मानते है | जहाँ बच्चो का चरित्र निर्माण के साथ – साथ उनमे साहस बल सदाचार इत्यादि लक्षण हो क्योकि गाँधी जी के अनुसार यही वास्तविक शिक्षा है | और इसी से एक अच्छे मनुष्य का निर्माण हो सकता है |
73. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है, और उसपर इसका क्या असार पड़ता है ?
उत्तर : हादुर घर का नौकर था और वह भी नेपाली यहाँ तो कोई उसका अपना नहीं था इसलिए उस पर चारों का आरोप लगाना आसान था क्योंकि उसकी ओर से कोई सफाई देने या पक्ष लेनेवाला नहीं था। यही कारण था कि कथाकार के ससुराल पक्ष से आए दम्पत्ति ने बहादुर पर रुपयों की चोरी का आरोप लगाया, उसे जेल भेजने की धमकियाँ दी गईं और खुद कथाकार ने भी उसे थप्पड़ मारा। बहादुर काम की कोताही का आरोप तो सह कर मार खा लेता और फिर रो-धोकर काम करने लगता, किन्तु चोरी का आरोप वह सह नहीं सका और कथाकार का घर छोड़कर चला गया।
व्याख्या करे ।
1. रसखानि कबौं इन आँखिन सौ ब्रज के बनबाम तझम निहारौं।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा रचित हिंदी पाठ्य-पुस्तक के “करील में कुंजन ऊपर वारों” पाठ से उद्धत है। प्रस्तुत पंक्ति में कवि ब्रज पर अपना जीवन सर्वस्थ न्योछावर कर देने की भावमयी विदग्धता मुखरित करते हैं। कवि इसमें ब्रज की बागीचा एवं तालाब की महत्ता को उजागर करते हुए निरंतर उसकी शोभा देखते रहने की आकांक्षा प्रकट करते हैं।
प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि ब्रज की बागीचा एवं तालाब अति सुशोभित एवं अनुपम हैं। इन आँखों से उसकी शोभा देखते बनती है। कवि कहते हैं कि ब्रज के वनों के ऊपर, अति रमनीय, सुशोभित मनोहारी मधुवन के ऊपर इन्द्रलोक को भी न्योछावर कर दूँ तो कम है। ब्रज के मनमोहक तालाब एवं बाग की शोभा देखते हुए कवि की आँखें नहीं थकती, इसकी शोभा निरंतर निहारते रहने की भावना को कवि ने इस पंक्ति के द्वारा बड़े ही सहजशैली में अभिव्यक्त किया है। कवि को कृष्ण-लीला स्थल के कण-कण से प्रेम है। कृष्ण की सभी चीजें उन्हें मनोहारी लगती हैं।
2. “ ‘गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’ घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’ ”
उत्तर : प्रस्तुत व्याख्येय पक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत ‘अंश में हिन्दी साहित्यं के समसामयिक कवयित्री अनामिका ने अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक-शिक्षण प्रक्रिया में संघर्षशीलता का मार्मिक वर्णन किया है।
कवयित्री कहते हैं कि बच्चों को अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया कौतुकपूर्ण है। एक चित्रमय वातावरण में विफलताओं से जूझते हुए अनवरत प्रयासरत आशान्वित निरंतर आगे बढ़ते हुए बच्चे की कल्पना की गई है। ‘ग’ को सीखना गमले की तरह नाजुक है जो टूट जाता है। साथ ही ‘घ’ घड़े का प्रतीक है जिसे लिखने का प्रयास किया जाता है लेकिन लुढक जाता है अर्थात् गमले की ध्वनि से बच्चा ‘ग’ सीखता है और ‘घडे’ की ध्वनि से ‘घ’ सीखता है।
3. नहानघर की नाली क्षणभर के लिए पूरी भर गई, फिर बिल्कुल खाली हो गई।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति विनोद कुमार शुक्ल की सामाजिक कहानी ‘मछली’ उद्धत है प्रसंग है पिताजी का दीदी को मारना और चिल्लाना दीदी की से सिसकी और पिताजी की चीख सुनकर संतू सहम गया और नरेन नहानघर में चला गया। भय उत्तेजना तथा क्रोध से उसने नहान घर की बाल्टी उलट दी, बाल्टी खाली हो गई और मछली की गंध घर में भर गई। लेखक का तात्पर्य है यह बताना कि जिस समाज में बच्चे-बच्चियों में भेद किया जाता है वह समाज सड़ जाता है, उससे दुर्गन्ध आती है।
4. सबै बिदेशी वस्तु नर, गति रति रीत लखात । भारतीयता कछु न अब, भारत म दरसात ॥ मनुज भारती देखि कोड, सकत नहीं पहिचान । मुसलमान, हिन्दू किधौं, के हैं ये क्रिस्तान ।
उत्तर : पाठ - स्वदेशी । कवि – बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’। कवि जब भारत की स्थिति पर नजर डालता है तो दुखी हो जाता है। वह कहता है कि आज तो यहाँ विदेशी लोग, विदेशी रीति, विदेशी चाल-ढाल ही दिखाई देती है। भारतीयता नाम की चीज कहीं दिखाई नहीं पड़ती। और तो और, यह पहचान भी मुश्किल है कि कौन हिन्दू है, कौन मुसलमान और कौन ईसाई । यह स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है।
5. मानव का रचा सूरज मानव को भाप बनाकर सोख गया ।
उत्तर : प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी साहित्य के प्रयोगवादी कवि तथा बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न कवि ‘अज्ञेय’ के द्वारा लिखित ‘हिरोशिमा’ नामक शीर्षक से उद्धृत है । प्रस्तुत अंश में हिरोशिमा पर आण्विक अस्त्र का प्रयोग कितना भयानक रहा, इसी का चित्रण यहाँ किया गया है । प्रस्तुत व्याख्येय अंश में कहा जा रहा है कि मानव जो अपने आपको प्रबुद्ध वर्ग की संज्ञा देता है वही कभी-कभी अपने बनाये गये जाल में स्वयं उलझकर रह जाता है। प्रकृति पर नियंत्रण करने का होड़ मानव की बचपना स्पष्ट दिखाई पड़ने लगती है । यही स्थिति हिरोशिमा पर बम विस्फोट के बाद देखने को मिली। मानव ने बमरूपी सूरज का निर्माण कर अपने-आपको ब्रह्माण्ड का नियामक समझ लिया था, लेकिन वह विस्फोट मानव को ही भाप बनाकर सोख – लिया, अर्थात् वही विस्फोट मानव के लिए अभिशाप बन गया।
6. भारतमाता ग्रामवासिनी खेतों में फैला है श्यामल धूल-भरा, मैला-सा आँचल, गंगा-यमुना में आँसू-जल मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी !
उत्तर : उपरिलिखित पद्यांश के रचनाकार हैं सुमित्रानंदन पंत प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘भारतमाता’ कविता से उद्धृत हैं। भारतमाता को ‘मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी’ कहा गया है। भारतमाता गाँवों में निवास करती है। दूर-दूर तक फैले धूल धूसरित खेत ही इसके आँचल हैं। गंगा-यमुना के जल उसके आँसू हैं और यह मिट्टी की उदास प्रतिमा है।
7. बचाना है, नदियो को नाला हो जाने से हवा को धुआ हो जाने मे खाने को जहर हो जाने से
उत्तर : कवि कुँवर नारायण ने एक ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता के माध्यम से संदेश दिया है कि मनुष्य स्वार्थ के कारण असभ्य होता जा रहा है। घर, शहर और देश को बचाने के पहले ‘प्रदूषण’ के कारण ऐसा न हो कि नदियाँ नाला हो जाय, हवा धुंआ हो जाय और भोजन विष हो जाय। इसे रोकने से ही मानव सभ्यता और संस्कृति बचेगी। अतः जंगलों को बचाना होगा।
8. दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन, अधरों में चिर नीरव रोदन, युग-युग के तम से विषण्ण मन वह अपने घर में प्रवासिनी !
उत्तर : उपरिलिखित पद्यांश के रचनाकार है सुमित्रानंदन पंत प्रस्तुत पंक्तियाँ भारतमाता’ कविता से उद्धृत हैं। कवि का कहना है कि गरीबी और दीनता से भारत अर्थात् भारतमाता की आँखें नीची हैं, उसकी पलकें भी नहीं झपकतीं युगों से गुलामी के कारण मन अत्यन्त दुखी है। हालत यह है कि यहाँ का सब कुछ उसका है, किन्तु गुलामी के कारण यहाँ की चीजों पर उसका अधिकार नहीं है। स्वामिनी होकर भी वह प्रवासिनी है।
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